PURAANIC SUBJECT INDEX (From Mahaan to Mlechchha ) Radha Gupta, Suman Agarwal & Vipin Kumar
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Puraanic contexts of words like Maahishmati, Mitra / friend, Mitravindaa etc. are given here. माहिका स्कन्द ६.१५५+ (कुरूप मणिभद्र की पत्नी, पुष्प ब्राह्मण द्वारा मणिभद्र का रूप धारण करके माहिका की प्राप्ति, सत्य मणिभद्र को मृत्यु दण्ड),
माहित्था स्कन्द ६.६०.१(अगस्त्य द्वारा माहित्था देवता की स्थापना )
माहिष्मती गर्ग ७.६.३०(माहिष्मती पुरी के राजा इन्द्रनील द्वारा प्रद्युम्न को भेंट देना), १०.१४(माहिष्मती पुरी के नरेश इन्द्रनील का अनिरुद्ध - सेना से युद्ध), पद्म ६.४०.१६(चम्पावती पुरी के राजा माहिष्मत द्वारा लुम्पक नामक दुराचारी पुत्र का राज्य से निष्कासन, लुम्पक द्वारा अनजाने में किए गए रात्रि जागरण से राज्य प्राप्ति की कथा), ६.१८३(माहिष्मती पुरी स्थित माधव ब्राह्मण का वृत्तान्त), ६.२२०.१७(नर्मदा तीरस्थ माहिष्मती नगरी, मोहिनी वेश्या की कथा), वराह ९५(विप्रचित्ति - पुत्री, सुपार्श्व मुनि के शाप से महिषी बनना, महिषासुर के जन्म की कथा), वामन ९०.१९(माहिष्मती में विष्णु का त्रिनयन व हुताशन नाम से वास), वायु ९४.२६/२.३२.२६(कार्तवीर्य द्वारा कर्कोटक सभा को जीतकर माहिष्मती पुरी बसाने का उल्लेख), हरिवंश २.३८.१९(विन्ध्य पर मुचुकुन्द द्वारा स्थापित पुरी ) maahishmatee/ mahishmati
माहेन्द्री वामन ५६.८(माहेन्द्री मातृका की देवी के स्तनमण्डल से उत्पत्ति )
माहेश्वर शिव ७.२.२९.९(शैवों के ज्ञान यज्ञ में तथा माहेश्वरों के कर्म यज्ञ में रत होने का उल्लेख),
माहेश्वरी अग्नि १४६.१९(माहेश्वरी देवी की ८ शक्तियों के नाम), गरुड १.४०(परिवार सहित माहेश्वरी पूजा की विधि), देवीभागवत ५.२८.५१(वृषारूढा माहेश्वरी द्वारा त्रिशूल से दानवों का संहार), ७.३०.७१(महाकाल पीठ में माहेश्वरी देवी की स्थिति का उल्लेख), नारद १.९०.७६(माहेश्वरी देवी की पूजा का विधान), मत्स्य २६१.२५(माहेश्वरी मातृका की प्रतिमा का रूप), २८६.१०(माहेश्वरी देवी का स्वरूप), वामन ५६.४(असुर वधार्थ चण्डिका की सहायता हेतु ब्रह्माणी व माहेश्वरी की उत्पत्ति), शिव ७.२.३१.१७(माहेश्वरी देवी की मूर्ति का स्वरूप), स्कन्द ४.२.७०.३०(माहेश्वरी देवी का संक्षिप्त माहात्म्य ) maaheshvaree/ maheshvari
मित ब्रह्माण्ड १.२.१३.९५(मितवान् : स्वायम्भुव मन्वन्तर में शक्त/दीप्तिमान्? नामक गण के देवों में से एक), २.३.५.९६(मित व समित : पांचवें गण के मरुतों में से २), २.३.७.२३९(मिताहार : वाली के सेनानायक प्रधान वानरों में से एक), ३.४.१.६०(अमित : सुधर्मा संज्ञक देवों के गण में से एक), भागवत ९.१३.१९(मितध्वज : धर्मध्वज के २ पुत्रों में से एक, खाण्डिक्य - पिता, जनक वंश ) mita
मित्र कूर्म १.४३.२२(मार्गशीर्ष मास में सूर्य का नाम तथा मित्र सूर्य की रश्मियों की संख्या), गणेश २.११३.२९(मैत्र : सिन्धुराज - मन्त्री, वीरभद्र व षडानन से युद्ध, षडानन द्वारा मैत्र का वध), गरुड २.२.७५(मित्रहन्ता के कौशिक बनने का उल्लेख), ३.८.२(मित्र द्वारा हरि स्तुति), ३.२२.२७(मित्र के १५ लक्षणों से युक्त होने का उल्लेख), ३.२२.७८(मित्र में श्रीहरि की मुकुन्द नाम से स्थिति), नारद १.५०.३६(मैत्री : पितरों की सप्त मूर्च्छनाओं में से एक), १.११६.४८(मार्गशीर्ष शुक्ल सप्तमी को मित्र व्रत), पद्म १.२०.१२०(मित्र/मन्त्र व्रत का माहात्म्य व विधि), १.४०.९६(मरुत्वती व धर्म के मरुद् गण पुत्रों में से एक, मरुतों में से एक), ६.१७६(मित्रवान् द्वारा हेमशर्मा को गीता के द्वितीय अध्याय के माहात्म्य का कथन, अजा व व्याघ्र का मित्र बनना), ब्रह्म १.२८(मित्र आदित्य का नारद से ब्रह्म ध्यान विषयक संवाद), ब्रह्माण्ड ३.४.३७.२९(मित्री : ४ योगनाथों में से एक), भविष्य १.५७.६(मित्र हेतु खाण्डवान्न बलि का उल्लेख), ३.४.७.५६(मित्र देव के अंश से रामानन्द की उत्पत्ति), ३.४.१८(संज्ञा विवाह के प्रसंग में मित्र का हयग्रीव असुर से युद्ध), भागवत ४.१.४१(वसिष्ठ व ऊर्जा के ७ पुत्रों में से एक), ६.६.३९(१२ आदित्यों में से एक), ६.१८.६(रेवती - पति, उत्सर्ग आदि पुत्र), ८.१०.२८(मित्र का प्रहेति असुर से युद्ध), १२.११.३५(शुक्र/ज्येष्ठ मास में मित्र नामक सूर्य के रथ का कथन), मत्स्य १०.१७(पृथिवी दोहन प्रसंग में मित्र द्वारा पृथिवी को दुहने पर इन्द्र के वत्स और क्षीर के ऊर्जस्वी बल होने का उल्लेख), ६१.२७(मित्र व वरुण में उर्वशी को प्राप्त करने की स्पर्द्धा, मित्र द्वारा उर्वशी को शाप, मित्र व वरुण के वीर्य से ऋषिद्वय की उत्पत्ति का कथन), १२६.६(ग्रीष्म ऋतु में मित्र व वरुण आदित्यों के रथ की स्थिति का कथन), १७१.५२(मरुत्वती व धर्म के मरुत् संज्ञक पुत्रों में से एक), २०१.२२(वसिष्ठ के विदेह हो जाने पर मित्रावरुण के वीर्य से जन्म लेने का कथन), वामन ५७.७२(मित्र द्वारा स्कन्द को २ गण प्रदान करना), ६९.५४(मित्र का विरूपधृक् से युद्ध), वायु ५२.६(शुचि व शुक्र मासों में मित्र व वरुण नामक सूर्यों के रथ की स्थिति), ६९.१५६/२.८.१५१(पुण्यजनी व मणिभद्र के २४ यक्ष पुत्रों में से एक), ९६.१६९/२.३४.१६९(वसुदेव व मदिरा के पुत्रों में से एक), शिव ३.५.४९(लकुली नामक शिवावतार काल में शिव के शिष्यों में से एक), स्कन्द २.१.३.१५(मित्रवर्मा : सोमकुल में उत्पन्न तुण्डीरमण्डल का राजा, मनोरमा - पति, वियत - पिता), ४.२.५७.११२(मित्र विनायक का संक्षिप्त माहात्म्य), ५.२.६८.१९(ब्राह्मण का समस्त जीवों के प्रति मैत्रीभाव होने का कथन), ५.३.१९१.१४(प्रलयकाल में १२ आदित्यों द्वारा शोषण के अन्तर्गत मित्र द्वारा वायव्य दिशा के शोषण का उल्लेख), ६.८०(गरुड द्वारा अपने ब्राह्मण मित्र की कन्या हेतु वर की खोज का वृत्तान्त), ६.८१(माधवी - पिता, लक्ष्मी द्वारा माधवी को शाप देने पर मित्र द्वारा लक्ष्मी को शाप), ७.१.१३९(धर्मात्मा कायस्थ, चित्र व चित्रा - पिता, यम द्वारा चित्र की चित्रगुप्त नाम से लेखकर्म में स्थापना), महाभारत वन ३१३.६३(प्रवास में, गृह में, आतुर के लिए व मृत्यु समय में मित्र का प्रश्न व उत्तर : यक्ष - युधिष्ठिर संवाद), कर्ण ४२.३१(मित्र शब्द की निरुक्तियां), शान्ति ८०.३(मित्र के ४ प्रकारों के नाम), १६८.५(संधि करने योग्य व अयोग्य पुरुषों के लक्षण), लक्ष्मीनारायण २.१५७.२१(देवायतन मूर्ति की प्रतिष्ठा के संदर्भ में मित्र का पादों में न्यास ), द्र. देवमित्र, ब्रह्ममित्र, विश्वामित्र, सुमित्रा, स्वमित्र, हरिमित्र mitra
मित्र- ब्रह्माण्ड २.३.६८.५(मरुत की कन्या मित्रज्योति से महासत्त्व पुत्रों की उत्पत्ति का कथन), ३.४.१.९४(१२वें मनु के पुत्रों में मित्रवान्, मित्रसेन, मित्रबाहु का उल्लेख), मत्स्य २२.११(मित्रपद : पितरों हेतु प्रशस्त तीर्थों में से एक), ४४.७३(मित्रदेवी : देवक की ७ कन्याओं में से एक, वसुदेव - भार्या), १९६.५०(मित्रवर : आङ्गिरस कुल के गोत्रकार ऋषियों में से एक), वायु २३.२२३/१.२३.२१२(मित्रक : २८वें द्वापर में नकुली नामक अवतार के पुत्रों में से एक), वायु ९३.५/२.३१.५(राजा मरुत्त की कन्या मित्राज्योति से महासत्त्व पुत्रों की उत्पत्ति का कथन ) mitra-
मित्रजित् स्कन्द ४.२.८२.४(परपुरञ्जय उपनाम वाले विष्णु - भक्त मित्रजित् राजा द्वारा नारद के निर्देश पर मलयगन्धिनी कन्या की कंकालकेतु राक्षस से रक्षा व विवाह), ४.२.८२(मित्रजित् नृप द्वारा कङ्कालासुर को मारकर असुर - अपहृत विद्याधर - कन्या से विवाह तथा पुत्र प्राप्ति का वृत्तान्त), ४.२.८४(मित्रजित् के पुत्र द्वारा वीरेश्वर नामक शिवलिङ्ग की स्थापना, वीरेश्वर शिव द्वारा मित्रजित् - पुत्र को विभिन्न तीर्थों का कथन ) mitrajit
मित्रबाहु ब्रह्माण्ड २.३.७१.२५२(नाग्नजिती व कृष्ण के पुत्रों में से एक), ३.४.१.९५(१२वें मनु के पुत्रों में से एक), मत्स्य ४७.१९(नाग्नजिती व कृष्ण के पुत्रों में से एक )
मित्रयु ब्रह्माण्ड १.२.३५.६४(सूत के शिष्यों में से एक), २.३.१.१००(मित्रेयु : ७ भार्गव पक्षों में से एक), भागवत ९.२२.१(मित्रेयु : दिवोदास - पुत्र, च्यवन आदि ४ पुत्रों के नाम), मत्स्य ५०.१३(दिवोदास - पुत्र, मैत्रायणवर - पिता), वायु ९९.२०६/२.३७.२०१ (दिवोदास - पुत्र, च्यवन - पिता ) mitrayu
मित्रवान् पद्म ६.१७६(मित्रवान् द्वारा देवशर्मा को गीता के द्वितीय अध्याय का माहात्म्य कथन, अजा व व्याघ्र का मित्र बनना), ब्रह्माण्ड ३.४.१.९४(१२वें मनु के पुत्रों में से एक), मत्स्य ४७.१९(मित्रविन्दा व कृष्ण के पुत्रों में मित्रवान् व मित्रविन्द का उल्लेख), वायु १००.९९/२.३८.९९(१२वें मनु के पुत्रों में से एक ) mitravaan
मित्रविन्दा गरुड ३.२०.४९(मित्रविन्दा द्वारा श्रवण साधना से श्रीहरि की पति रूप में प्राप्ति का वृत्तान्त, मित्रविन्दा की निरुक्ति, सुमित्रा-पुत्री), गर्ग १.३.३८(गङ्गा द्वारा धारित नाम), ६.८.१६(अवन्ती नरेश की कन्या, कृष्ण द्वारा स्वयंवर से अपहरण), देवीभागवत ८.१२.३३(कुश द्वीप की नदियों में से एक), पद्म ६.२४९.२(कृष्ण - पत्नी, लीला का अंश), ब्रह्मवैवर्त्त ४.६.१४४(मित्रविन्दा की रोहिणी के अंश से उत्पत्ति?), भागवत ५.२०.१५(कुश द्वीप की नदियों में से एक), १०.५८.३१(राजाधिदेवी - कन्या, विन्द व अनुविन्द - भगिनी, कृष्ण द्वारा हरण), १०.६१.१६ (कृष्ण व मित्रविन्दा के पुत्रों के नाम), १०.८३.१२(मित्रविन्दा द्वारा द्रौपदी से कृष्ण से पाणिग्रहण का कथन), मत्स्य ४७.१९(मित्रविन्दा व कृष्ण के पुत्रों के नाम), मार्कण्डेय ५१.४९(द्वेषिणी नामक कन्या की शान्ति हेतु निर्दिष्ट मित्रविन्दा इष्टि), ६९.८/७२.८(प्रतिकूल पत्नी को वश में करने के लिए मित्रविन्दा इष्टि का उल्लेख ) mitravindaa
मित्रशर्मा भविष्य ३.४.७.३६(मित्रशर्मा ब्राह्मण का चित्रिणी से विवाह, सूर्य के अंश रामानन्द की पुत्र रूप में प्राप्ति), |