PURAANIC SUBJECT INDEX (From Mahaan to Mlechchha ) Radha Gupta, Suman Agarwal & Vipin Kumar
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Puraanic contexts of words like Mahaamaayaa, Mahaalakshmi etc. are given here. महाभोज ब्रह्माण्ड २.३.७१.२(सात्त्वत व कौशल्या के पुत्रों में से एक), २.३.७१.१७(महाभोज की प्रशंसा, भोज वंश प्रवर्तक), भागवत ९.२४.७(सात्वत के ७ पुत्रों में कनिष्ठतम), ९.२४.११(महाभोज के धर्मात्मा होने व भोज वंश का प्रवर्तक होने का उल्लेख), वायु ९६.२/२.३४.२(कौशल्या के पुत्रों में से एक), विष्णु ४.१३.१(सत्वत के पुत्रों में से एक), ४.१३.७(धर्मात्मा महाभोज के मृत्तिकावरपुर वासी भोजों के वंश का प्रवर्तक होने का उल्लेख ) mahaabhoja/ mahabhoja
महामणि शिव २.५.३६.१६(११ रुद्रों में से एक, उग्रचण्ड आदि से युद्ध )
महामति कथासरित् १८.१.५२(सुमति - पुत्र, विक्रमादित्य का बालसखा )
महामना ब्रह्माण्ड २.३.७४.१५(महाशाल - पुत्र, महामना के २ पुत्रों के नाम, अनु वंश), भागवत ९.२३.२(महाशील - पुत्र महामना के २ पुत्रों के नाम, अनु वंश ) mahaamanaa/ mahamanaa
महामद भविष्य ३.३.२.५(म्लेच्छ, भोजराज समकालिक, शिव के कथनानुसार बलि - प्रेषित त्रिपुरासुर, अयोनिज तथा दैत्य संवर्धक ), द्र. मुहम्मद
महामात्र भागवत १०.३६.२५(कंस द्वारा कुवलयपीड हस्ती के महावत का महामात्र सम्बोधन), १०.४३.१२(महामात्रों द्वारा कुवलयपीड हाथी को कृष्ण को मारने के लिए उत्तेजित करने का उल्लेख ) mahaamaatra/ mahamatra
महामाय ब्रह्माण्ड २.३.६.५(दनु व कश्यप के प्रधान दानव पुत्रों में से एक), ३.४.२१.८१(भण्डासुर के सेनापति पुत्रों में से एक), कथासरित् ८.२.२२५(प्रह्लाद द्वारा पाताल में महामाय आदि दैत्यराजों को भोजन हेतु निमन्त्रण), ८.७.३८(महामाय दानव द्वारा कुबेरदत्त नामक विद्याधर की हत्या ) mahaamaaya/ mahamaya
महामाया देवीभागवत १.५.४८(विष्णु के छिन्नशीर्ष होने पर देवों द्वारा महामाया का चिन्तन, स्तुति, महामाया द्वारा विष्णु के छिन्नशीर्ष होने के कारण का कथन, महामाया के आदेशानुसार देवशिल्पी द्वारा विष्णु के शीर्ष के रूप में हयग्रीव दैत्य के शीर्ष का संयोजन), ब्रह्माण्ड ३.४.२८.३९(ललिता - सहचरी, कुन्तिसेन से युद्ध), भागवत १०.५५.१६(शम्बरासुर वध हेतु मायावती द्वारा प्रद्युम्न को मायाविनाशिनी महामाया विद्या देने का उल्लेख), मार्कण्डेय ८१.४०/७८.४० (महामाया की उत्पत्ति का विस्तृत वर्णन, सुरथ राजा व सुमेधा ऋषि का संवाद), स्कन्द ५.२.१०.१३(कर्कोट नाग द्वारा महामाया पुरस्थ देवेश की आराधना), लक्ष्मीनारायण ३.१८६.६७(साधु के मल में महामाया की स्थिति का उल्लेख ) mahaamaayaa/ mahamayaa
महामारी अग्नि १३७(शत्रु विनाश हेतु महामारी विद्या का स्वरूप व मन्त्र), देवीभागवत ९.२२.११(महामारी का शंखचूड - सेनानी उग्रचण्ड से युद्ध), लक्ष्मीनारायण २.९०.१८(शम्भु - दूती भैरवी द्वारा राक्षसियों से युद्ध व उनका विनाश, महामारी भैरवियों को शिव से वरदान प्राप्ति, महामारियों के पापी जनों में व्याप्त होने से पापियों की मृत्यु व व्याकुलता), २.९१(भक्तों की प्रार्थना पर शिव द्वारा महामारियों को भक्तों के चिह्नों से युक्त शवों को जीवित करने का आदेश, श्रीहरि के वर से महामारियों का बदरी वृक्ष बनना और राम द्वारा बदरी फलों का सेवन), २.२३७.६०(सम्पर्क राजा व उसकी सेना का महामारी रोग से पीडित होना, दत्तात्रेय द्वारा रोग से मुक्ति ) mahaamaaree/ mahamari
महामुनि द्र मन्वन्तर
महामूर्ति पद्म ५.६७.४०(विभीषण - पत्नी )
महामोटी शिव ७.२.३१.८८(मातृका, महादेवी की पाद पूजा परायण )
महायज्ञ ब्रह्माण्ड २.३.१२.१६(५ करणीय दैनिक महायज्ञों के स्वरूप का कथन), वायु ७६.१७/२.१४.१७(वही)
महायान कथासरित् ८.५.१२१(विद्याधर महारथी महायान का महाश्मशान के अधिपतित्व से सिद्ध होना, श्रुतशर्मा का पक्ष छोडकर सूर्यप्रभ के समीप गमन )
महारथी ब्रह्माण्ड २.३.६९.४९(कार्त्तवीर्य अर्जुन के १०० पुत्रों में ५ महारथी पुत्रों के नाम), ३.४.२९.२१(आभिल नामक दैत्य की महारथ संज्ञा), वायु ९२.७०/२.३०.७१(धर्मकेतु - पुत्र सत्यकेतु की महारथ उपाधि ), द्र. रथ mahaarathee/ maharathi
महाराष्ट} गर्ग ७.१०.३०(महाराष्ट} के राजा विमल द्वारा प्रद्युम्न को भेंट), नारद १.५६.७४३(महाराष्ट} देश के कूर्म का पुच्छ मण्डल होने का उल्लेख), ब्रह्माण्ड १.२.१६.५५(दक्षिणापथ वासियों के जनपदों में से एक), वायु ४५.१२५(वही) mahaaraashtra/ maharashtra
महारुद्र ब्रह्माण्ड ३.४.३३.८४(ललिता देवी की आज्ञा का पालन करने वाले रुद्रों में से एक महारुद्र द्वारा शत्रुओं का नाश), ३.४.३४.५१(१६ आवरणों में स्थित रुद्रों द्वारा महारुद्र की सेवा), मत्स्य २२.३४(श्राद्ध आदि हेतु प्रशस्त तीर्थों में से एक ) mahaarudra/ maharudra
महारूपा पद्म ४.१५.४६(वल्लभ नामक वैश्य की पत्नी महारूपा द्वारा अनजाने में किए गए एकादशी व्रत के प्रभाव से विष्णु लोक की प्राप्ति )
महारोमा ब्रह्माण्ड २.३.६४.१३(कीर्तिरात - पुत्र, स्वर्णरोमा - पिता, विदेह वंश), भागवत ९.१३.१७(कृतिरात - पुत्र, स्वर्णरोमा - पिता, विदेह वंश), विष्णु ४.५.२७(कृतरात - पुत्र, स्वर्णरोमा - पिता, विदेह वंश ) mahaaromaa/ maharoma
महारौरव भागवत ५.२६.७(२८ नरकों में से एक), ५.२६.१२(महारौरव नरक में क्रव्याद नामक रुरुओं द्वारा मांस भक्षण का उल्लेख), वायु १०१.१७७/२.३९.१७७ (भूमि के नीचे स्थित ७ नरकों में से एक ) mahaaraurava/ maharaurava
महार्णवा स्कन्द ५.३.६.३५(नर्मदा के महार्णवा नाम हेतु का कथन )
महालक्ष्मी देवीभागवत १.५.७८(विष्णु द्वारा उपहास पर महालक्ष्मी द्वारा विष्णु को छिन्नशीर्ष होने का शाप), १.१५+ (विष्णु के ह्रदय में वास करने वाली सात्विकी शक्ति, वटपत्र पर शयन करने वाले विष्णु से स्व परिचय का कथन), ३.६.४९(त्रिगुणा प्रकृति द्वारा विष्णु को सत्त्वगुण युक्त महालक्ष्मी नामक स्वशक्ति प्रदान), ५.८+ (महिषासुर वधार्थ देवों के तेज से महालक्ष्मी की उत्पत्ति), ९.१.२५(५ प्रकृतियों में द्वितीय महालक्ष्मी का स्वरूप व महिमा), ९.३९+ (महालक्ष्मी का राधा से प्राकट्य, इन्द्र को दुर्वासा द्वारा शाप से महालक्ष्मी द्वारा इन्द्र का त्याग, समुद्र मन्थन से पुन: प्राकट्य), ९.४२(इन्द्र द्वारा महालक्ष्मी की षोडशोपचार पूजा, महालक्ष्मी स्तोत्र), १२.६.१२५(गायत्री - सहस्रनामों में से एक), नारद १.८३.४९(महालक्ष्मी की राधा से उत्पत्ति, महालक्ष्मी का स्वरूप व मन्त्र विधान), १.८६.१(लक्ष्मी के अवतारों का कथन), १.११७.५४ (महालक्ष्मी अष्टमी व्रत की विधि), १.१२७.५५(, पद्म ४.१०.२(समुद्र मन्थन से द्वादशी में महालक्ष्मी की उत्पत्ति, देवों द्वारा स्तुति, विष्णु का महालक्ष्मी से परिणय के लिए उद्धत होना, महालक्ष्मी द्वारा ज्येष्ठा भगिनी अलक्ष्मी के अविवाहित होने पर कनिष्ठा के विवाह का अनौचित्य बताना, विष्णु द्वारा अलक्ष्मी उद्दालक को प्रदान करना, लक्ष्मी से परिणय का वृत्तान्त), ६.१८६.१५(कोल्हापुर में महालक्ष्मी का वास, राजकुमार पर महालक्ष्मी की कृपा की कथा), ब्रह्मवैवर्त्त १.३.६५(महालक्ष्मी की कृष्ण के मन से उत्पत्ति), १.६.१(कृष्ण द्वारा नारायण को महालक्ष्मी का दान), २.१३.१२(भाद्रपद मास में महालक्ष्मी की पूजा का उल्लेख), २.३५.१०(श्रीकृष्ण के वामांश से महालक्ष्मी तथा दक्षिणांश से राधिका की उत्पत्ति, महालक्ष्मी द्वारा चतुर्भुज विष्णु का वरण), ३.२३.१९(महालक्ष्मी के निवास योग्य स्थानों का वर्णन), ब्रह्माण्ड ३.४.३९.१११(कामाक्षी के साक्षात् महालक्ष्मी होने का उल्लेख), ३.४.४०.५(महालक्ष्मी द्वारा ३ शक्तियों के पुर रूप ३ अण्ड सर्जन करने का कथन), ३.४.४१.५(कामाक्षी के ही महालक्ष्मी होने तथा श्रीचक्र मन्त्र होने का कथन), ३.४.४४.१११(८ मातृकाओं में से एक), मत्स्य १३.४१(करवीर पीठ में देवी का महालक्ष्मी नाम से वास), शिव २.३.३८.१४(शिव - पार्वती के विवाह मण्डप के द्वार पर विश्वकर्मा द्वारा कृत्रिम महालक्ष्मी के निर्माण का उल्लेख), ५.४६.११(महालक्ष्मी का प्रादुर्भाव, देवों से आभूषण व आयुधों का ग्रहण), स्कन्द ४.१.५.७५(अगस्त्य मुनि द्वारा महालक्ष्मी के दर्शन, स्तुति, महालक्ष्मी द्वारा वर प्रदान), ४.२.५८.३९(महालक्ष्मी तीर्थ का माहात्म्य), ४.२.७०.६३ (महालक्ष्मी देवी की महिमा), ४.२.८४.१२(महालक्ष्मी तीर्थ का संक्षिप्त माहात्म्य), ४.२.९७.१०९(महालक्ष्मीश्वर लिङ्ग का संक्षिप्त माहात्म्य), ५.३.१९८.७८ (करवीर में देवी की महालक्ष्मी नाम से स्थिति), लक्ष्मीनारायण १.१२६(महालक्ष्मी के प्रासाद का वर्णन), १.१५५.४(बलि - भार्या सन्ध्यावली द्वारा पति रक्षार्थ महालक्ष्मी की आराधना, महालक्ष्मी का स्वरूप), १.३७३(महालक्ष्मी द्वारा विष्णु से रति के लिए नए प्रासाद का निर्माण, महालक्ष्मी में पातिव्रत्य का गर्व उत्पन्न होने पर गोपुर के द्वारपालों जय व विजय द्वारा महालक्ष्मी को अन्दर जाने से रोकना, महालक्ष्मी का प्राण त्याग को उद्धत होना, पातिव्रत्य के प्रभाव से विष्णु को प्रकट करना), १.४३६.४७(आस्तीक - माता जरत्कारु के महालक्ष्मी की कला होने के उल्लेख सहित महालक्ष्मी के स्वाहा, स्वधा आदि अन्य रूपों के नाम), १.४५६.१७(विन्ध्याचल के नमन के पश्चात् अगस्त्य व लोपामुद्रा द्वारा गोदावरी तट पर महालक्ष्मी का दर्शन, लोपामुद्रा द्वारा महालक्ष्मी की स्तुति), १.४९३.२४(शाप से गजमुखी बनी लक्ष्मी/माधवी का ब्रह्मा के वरदान से गजमुख त्याग कर महालक्ष्मी बनना), ३.११५.४३(भण्डासुर के वधार्थ महालक्ष्मी का ललिता के रूप में अवतार, ललिता द्वारा भण्डासुर के वध का वर्णन), ३.११८.१७(भण्डासुर वध के पश्चात् महालक्ष्मी ललिता स्तोत्र, महालक्ष्मी का पृथिवी पर ४ रूपों में वास, महालक्ष्मी की मातङ्ग नामक भक्त महर्षि पर कृपा), ३.११९.७५(महालक्ष्मी का विभिन्न नामों से अङ्गन्यास, महालक्ष्मी मन्त्र), ३.१२०(महालक्ष्मी का अन्य मन्त्र, ब्रह्मा की प्रार्थना पर काञ्ची में महालक्ष्मी का २ रूपों में विभाजित होना, महालक्ष्मी की आराधना हेतु दीक्षा विधि ) mahaalakshmee/mahalakshmi
महालय ब्रह्माण्ड २.३.१३.८३(श्राद्ध हेतु महालय तीर्थ की प्रशस्तता का कथन), मत्स्य १३.४४(महालय पीठ में देवी की महाभागा नाम से स्थिति का उल्लेख), १८१.२९(अविमुक्त क्षेत्र में ८ गुह्य स्थानों में से एक), वामन ५७.९८(रुद्र महालय तीर्थ द्वारा स्कन्द को गण प्रदान), ९०.२२(महालय में विष्णु का रुद्र नाम), वायु २३.१७५/१.२३.१६४(गुहावासी नामक अवतार के ४ पुत्रों में से एक), स्कन्द ३.१.३६.३७(विभिन्न तिथियों में महालय श्राद्ध का महत्त्व), ३.१.३६.१४८(महालय शब्द की निरुक्ति, विभिन्न तिथियों में महालय श्राद्ध का फल), ५.१.५४.२५(नीलगङ्गा तीर्थ में करणीय महालय श्राद्ध), ५.१.५९.१४(गया श्राद्ध में सूर्य के कन्या राशि और हस्त नक्षत्र से संयुत होने पर महालय श्राद्ध के अक्षय होने का उल्लेख), ५.२.२४(८४ लिङ्गों में २४वें महालयेश्वर का माहात्म्य, सृष्टि व प्रलय का केन्द्र स्थल), ५.३.१९८.८२(महालय में देवी की महाभागा नाम से स्थिति), लक्ष्मीनारायण १.१७६.९१(दक्ष यज्ञ विनाश के संदर्भ में शिव द्वारा जटा के प्रस्फालन से महालया शक्ति से ज्वरा आदि की उत्पत्ति ) mahaalaya/ mahalaya |