PURAANIC SUBJECT INDEX (From Mahaan to Mlechchha ) Radha Gupta, Suman Agarwal & Vipin Kumar
|
|
Puraanic contexts of words like Maayaa / illusion, Maayaapuri, Maarishaa, Maareecha etc. are given here. मामु स्कन्द ७.३.३५(मामु ह्रद की उत्पत्ति, स्वर्ग न जाने के लिए मुद्गल द्वारा देवदूत व इन्द्र का स्तम्भन),
माय ब्रह्माण्ड ३.४.२१.८१(भण्डासुर के सेनापति पुत्रों के रूप में महामाय, अतिमाय, बृहन्माय, उपमाय का उल्लेख )
माया गरुड १.२१.५(अघोर शिव की ८ कलाओं में से एक), ३.१६.६(वासुदेव-भार्या), गर्ग ५.१७.१७(उद्धव से कृष्ण का संदेश सुनकर माया यूथ की गोपियों के उद्गार), देवीभागवत ४.४.२४(त्रिगुणात्मिका माया द्वारा विश्व का निर्माण), ५.६.७(महिषासुर द्वारा युद्ध में शम्बर माया का प्रयोग, सुदर्शन चक्र से माया का नष्ट होना), ६.२८(नारद द्वारा माया दर्शन की उत्सुकता पर तालध्वज की स्त्री बनकर संसार की माया का दर्शन), ७.३२+ (माया की महिमा), १२.६.१२२(गायत्री सहस्रनामों में से एक), नारद १.११८.२८(पौष शुक्ल नवमी को महामाया की पूजा), पद्म १.४०.१३९(माया रूपी विशाल वृक्ष का वर्णन), ६.२२७.५२(अविद्या व योगमायाओं का कथन), ६.२२८.७५(महामाया द्वारा ईश्वर की स्तुति), ब्रह्म १.७३(जगद्धात्री, योगनिद्रा, योगमाया आदि नाम, माया द्वारा देवकी के गर्भ से सप्तम गर्भ का कर्षण कर रोहिणी के गर्भ में स्थापन, यशोदा के उदर में माया का प्रवेश, कंस द्वारा बालिका रूप धारी माया का ताडन करने पर बालिका का स्व स्वरूप धारण कर आकाश में गमन, कंस की भर्त्सना), १.१२१(सुतपा ऋषि द्वारा माया दर्शन की इच्छा, नारद द्वारा माया दर्शन का वृत्तान्त), २.६४(ऋषियों के सत्र की रक्षा के लिए ब्रह्मा द्वारा प्रमदा रूपी माया का निर्माण, शम्बर द्वारा माया का भक्षण), ब्रह्मवैवर्त्त ३.६.८३(नारायणी माया सबकी माता तथा कृष्ण भक्ति प्रदाता, अपर नाम मूल प्रकृति तथा ईश्वरी), ३.३७.१९(आद्या माया से अधोदिशा की रक्षा की प्रार्थना), ३.३९.१५(महामाया से प्राची दिशा की रक्षा की प्रार्थना), ३६८२, ब्रह्माण्ड ३.४.२३(सर्पिणी माया), भविष्य ३.३.१३.११४(हरानन्द द्वारा शाम्बरी माया का प्रयोग करके शत्रुओं को पाषाण बनाना), ४.३(वैष्णवी माया, नारद द्वारा स्त्री रूप धारण करके वैष्णवी माया का दर्शन), ब्रह्माण्ड १.१.५.१९(यज्ञवराह के माया - पति होने का उल्लेख), ३.४.२३.१६(भण्डासुर के सेनापतियों द्वारा युद्ध में ललिता देवी की शक्तियों के विरुद्ध सर्पिणी माया का प्रयोग, नकुली देवी द्वारा गरुड पर आरूढ होकर सर्पिणी माया का नाश), भागवत १.२.३०(निर्गुण भगवान् द्वारा आत्ममाया से गुणात्मक सृष्टि करने का कथन), २.३.३(श्रीकामी द्वारा देवी माया की अर्चना का निर्देश), ३.५.२६(माया का दृश्य - द्रष्टा से सम्बन्ध, पुरुष द्वारा काल वृत्ति से माया में वीर्य आधान करके सृष्टि रचना का कथन), ४.८.२(अधर्म व मृषा - कन्या, निकृति/शठता - माता), ५.२४.८(अतल आदि अध:लोकों में मायाविनोदों के निवास का उल्लेख), ६.५.८, १६(उभयतोवाहा नदी के रूप में माया का कथन), ६.५.१६(सृष्टि और प्रलय करने वाली), ८.१२(वैष्णवी माया द्वारा मोहिनी रूप में शंकर का मोहन), ११.११.१(गुणों के मायामूलक होने तथा माया द्वारा मोक्ष बन्धनकारी विद्या - अविद्या की सृष्टि करने का कथन), मत्स्य १०.२१(असुरों द्वारा पृथिवी रूपा गौ से माया दोहन का कथन), १३.३४(मायापुरी तीर्थ में देवी का कुमारी नाम से वास), १९.९(दानवों का भोजन माया होने का उल्लेख), १७५(मय द्वारा और्वी माया का प्रयोग, माया की उत्पत्ति के प्रसंग में ऊर्व ऋषि से माया की उत्पत्ति), १७६(मय द्वारा प्रकट शैल माया का अग्नि व वायु द्वारा शमन), २२२.२(राजाओं द्वारा प्रयोग हेतु उपायों में से एक), मार्कण्डेय ८३.२९(महिषासुर द्वारा महिष रूप को त्याग माया से सिंह, पुरु, व महिष रूप धारण), वराह १७.४४(शरीरस्थ माया की दुर्गारूपता का उल्लेख), १२५.५(वराह/विष्णु द्वारा पृथिवी को संसार में माया से हो रही घटनाओं के उदाहरणों का वर्णन), १२५.५८(सोमशर्मा ब्राह्मण द्वारा माया के रहस्य को जानने की इच्छा, निषादी स्त्री बनना, पुन: ब्राह्मण बनना, मायापुरी का माहात्म्य), वामन २.१०(अमाया : भरद्वाज - भार्या), वायु १०.३९(निकृति व अनृत से भय, नरक, माया व वेदना की उत्पत्ति तथा भय व माया से मृत्यु की उत्पत्ति का कथन), ६९.३३६/२.८.३३६ (दनु के मायाशीला होने का उल्लेख), ९४.१५/२.३२.१५(युद्ध काल में कार्त्तवीर्य अर्जुन को माया द्वारा सहस्र बाहु, रथ, ध्वज आदि प्राप्त होने का उल्लेख), १०१.२१८/२.३९.२१८(महेश्वर द्वारा माया से परम मायामय स्थान की सृष्टि का कथन), १०४.४१/२.४२.४१(माया चित्रकारी द्वारा जीव में ब्रह्माण्ड को भित्ति रूप में निर्मित करने का उल्लेख), १०४.७५/२.४२.७५(अधरोष्ठ? में माया तीर्थ की स्थिति का उल्लेख), विष्णु ३.१७.४१(दैत्यों की पराभव हेतु विष्णु द्वारा मायामोह की उत्पत्ति, देवों को प्रदान), ३.१८(मायामोह द्वारा दैत्यों का मोहन, दैत्यों द्वारा वेदमार्ग का त्याग), शिव ५.४.१५ (शिव माया के प्रभाव का वर्णन), स्कन्द ५.१.२०.१५(सनातनी महामाया को परम भक्ति से देखने वाले के विष्णुमाया से मुक्त होकर परम पद प्राप्त करने का उल्लेख), ५.२.४.१६(देवी से युद्ध करते हुए वज्रासुर द्वारा तामसी माया का सृजन), ५.३.९७.५३(तामसी माया से अभिभूत पराशर द्वारा कैवर्त्त कन्या का आलिङ्गन, व्यास के जन्म का वृत्तान्त), ५.३.१०३.६८(वैष्णवी माया का एरण्डी नाम से वास, एरण्डी तीर्थ का माहात्म्य), हरिवंश १.४५.१८(मय द्वारा रचित और्व माया), १.४६.२४(मय द्वारा प्रयुक्त पार्वती माया), १.५०.२७(विष्णु के शरीर से प्रकट हुई निद्रारूप तमोमयी माया का वर्णन), २.१०६.२९(शम्बर द्वारा प्रद्युम्न से युद्ध में पन्नगी माया का प्रयोग, प्रद्युम्न द्वारा सौपर्णी माया से पन्नगी माया को नष्ट करना), महाभारत आश्वमेधिक ८०.४५(उलूपी द्वारा अर्जुन की मृत्यु रूपी मोहनी माया का प्रदर्शन), योगवासिष्ठ ५.३४.८८(मायामयता के याक्षी शक्ति होने का उल्लेख), ५.४८.४०(गाधि द्वारा भगवान् की महती माया का दर्शन, माया के महत्त्व का कथन), ६.२.८.१०(संसार रूपी माया मण्डप के स्वरूप का निरूपण), ६.२.६०.११(वसिष्ठ द्वारा जगन्मयी माया के दर्शन), लक्ष्मीनारायण १.२३२.६(मायानन्द विप्र द्वारा काशी में पाप कर्म करने से वज्रलेप संज्ञक पाप की प्राप्ति, मृत्यु पश्चात् विभिन्न योनियों की प्राप्ति, द्वारका यात्रा के पुण्य की प्राप्ति से मुक्ति), १.५४३.७२, १.५७०(संसार में दृष्ट माया के उदाहरणों का वर्णन, माया तीर्थ के माहात्म्य के संदर्भ में सोमशर्मा विप्र के निषादी रूप में जन्म लेकर माया के दर्शन करने का वृत्तान्त), २.११७(महामाया में श्रीहरि के तेज/ वह्नि के प्रवेश से क्षोभ होने और वैराज आदि की उत्पत्ति का कथन), ३.३९.६१(दिव्य रूपा माया के जीव के कर्मों के अनुसार सात्विक, राजस व तामस भेदों का कथन), ३.७१.१०(महामाया प्रकृति द्वारा कृष्ण की स्तुति तथा सृष्टि हेतु प्रार्थना, सृष्टि हेतु वासुदेव का अनिरुद्ध, प्रद्युम्न व संकर्षण रूप में त्रिपाद् रूप होना), ३.१७२.९(श्रीहरि के आत्मा में निवास से माया की निवृत्ति होने का दृष्टान्तों सहित कथन), ४.२६.५३(श्रीपति गोपाल की शरण से माया से मुक्ति का उल्लेख), ४.१०५+ (कामरूप देश के नास्तिक राजा मायापाल द्वारा यमयातनाओं का भोग, सनत्कुमार द्वारा यमयातनाओं से मुक्ति दिलाना), कथासरित् ३.३.१८(असुरराज मायाधर की इन्द्र के साथ युद्ध में मृत्यु), गोपालोत्तरतापिन्युपनिषद १७(आद्या माया शार्ङ्ग होने का उल्लेख ), द्र. अमाया, योगमाया maayaa/ maya
मायापुरी देवीभागवत ७.३०.६४(मायापुरी में कुमारी देवी के वास का उल्लेख), पद्म ६.८८.३५(मायापुरी निवासी देवशर्मा ब्राह्मण की कन्या गुणवती का कृष्ण - भार्या सत्यभामा बनना, कृष्ण द्वारा सत्यभामा के पूर्व जन्म के वृत्तान्त का कथन), मत्स्य १३.३४(मायापुरी में सती देवी की कुमारी नाम से स्थिति का उल्लेख), २२.१०(श्राद्ध हेतु प्रशस्त तीर्थों में से एक), वराह १२५.७६(सोमशर्मा विप्र द्वारा भगवान् की माया के दर्शन की इच्छा, कुब्जाम्रक में निषादी स्त्री के रूप में जन्म लेकर माया के दर्शन का वृत्तान्त, तत्पश्चात् माया तीर्थ में तप करने से मुक्ति प्राप्ति की कथा), वायु १०४.७५/२.४२.७५(माया पुरी की आधार में स्थिति का उल्लेख), स्कन्द ४.१.७(शिवशर्मा की मायापुरी यात्रा, देहान्त, मुक्ति), ४.१.२४.६३(शिवशर्मा द्विज की मायापुरी में मृत्यु से स्वर्ग प्राप्ति, पुन: पृथ्वी तल पर राजा होकर काशी में मोक्ष प्राप्ति का वृत्तान्त), ५.३.१९८.७१(मायापुरी में देवी का कुमारी नाम से वास), लक्ष्मीनारायण ४.१०५(कामरूप के दुष्ट राजा मायापाल का वृत्तान्त, यमदूतों द्वारा मायापाल का पीडन, सनत्कुमार द्वारा मायापाल पर कृपा), कथासरित् १८.४.५५(शबरराज एकाकिकेसरी का पूर्वजन्म में मायापुरी नगरी में चन्द्रस्वामी नामक ब्राह्मण होने का वृत्तान्त ) maayaapuree /mayapuri
मायाबटु कथासरित् १२.४.४(भिल्लराज मायाबटु की मृगाङ्कदत्त द्वारा जलमानवों से रक्षा), १२.३५.२७(श्रुतधि द्वारा मृगाङ्कदत्त की सहायतार्थ पुलिन्दराज मायाबटु को बुलाने का परामर्श )
मायावती ब्रह्मवैवर्त्त ४.११२(प्रद्युम्न जन्म का आख्यान, मायावती द्वारा प्रद्युम्न का पालन), ४.११५.७९(मायावती के रति की छाया होने का उल्लेख), भागवत १०.५५(शम्बर - दासी, रति का रूप, प्रद्युम्न का पालन), विष्णु ५.२७(मायावती रूपी रति द्वारा शम्बर के अन्त:पुर में प्रद्युम्न का पालन), स्कन्द १.१.२१.११२(शम्बर द्वारा रति का अपहरण करके मायावती नाम रखना), हरिवंश २.१०४(शम्बर - भार्या, प्रद्युम्न का पालन व प्रद्युम्न से संवाद), २.१०८.२६(प्रद्युम्न - भार्या), कथासरित् २.५.३५(विद्याधरी, शाप से हस्तिनी रूप धारण ) maayaavatee/ mayavati,
मायावर्मा भविष्य ३.३.३१.४३(अङ्ग देश का राजा, प्रमदा - पति, मत्त आदि १० पुत्रों का पिता, पुत्री पर कितव दैत्य की आसक्ति पर दैत्य वध का उद्योग), ३.३.३२.१०१(पृथ्वीराज - सेनानी, जगन्नायक से युद्ध )mayavarma/ maayaavarmaa
मायावी ब्रह्माण्ड २.३.६.२९(मय व रम्भा के ६ पुत्रों में से एक, मन्दोदरी - भ्राता), वायु ६८.२८/२.७.२८(मय के पुत्रों में से एक), वा.रामायण ४.९.४(मय - पुत्र, दुन्दुभि - भ्राता, बाली से युद्ध), ७.१२.१३(मयासुर व हेमा - पुत्र, दुन्दुभी व मन्दोदरी - भ्राता ) maayaavee/ mayavi,
मायी भविष्य ३.४.१२.१७(मय - पुत्र, त्रिपुर का निर्माण, शिव द्वारा त्रिपुर का ध्वंस),
मारिषा अग्नि १८.२६(कण्डु मुनि के अंश व प्रम्लोचा अप्सरा के गर्भ से मारिषा का प्राकट्य, सोम द्वारा प्रचेताओं को प्रदान, मारिषा से दक्ष की उत्पत्ति), ब्रह्म १.६९.९९(प्रम्लोचा के स्वेद और कण्डु के वीर्य से मारिषा के जन्म का वृत्तान्त, वृक्षों द्वारा पालन), ब्रह्मवैवर्त्त ४.७.५(देवमीढ - पत्नी, वसुदेव - माता), ब्रह्माण्ड १.२.३७.३७(वृक्षों की पुत्री, १० प्रचेताओं से विवाह, दक्ष प्रजापति को जन्म), भागवत ४.३०(मारिषा का प्रम्लोचा से जन्म, चन्द्रमा द्वारा पालन, प्रचेताओं से विवाह), ४.३१.१(विवेक होने पर प्रचेताओं द्वारा भार्या मारिषा को पुत्र के पास छोडकर गृह से निष्क्रमण का उल्लेख), ९.२४.२७(शूर व मारिषा से उत्पन्न वसुदेव आदि १० पुत्रों के नाम), मत्स्य ४.४९(सोम - कन्या, प्रचेताओं से विवाह, दक्ष को जन्म), वायु ३०.६१(शिव के शाप से दक्ष का मारिषा/माषाद व प्रचेतस - पुत्र के रूप में जन्म लेने का कथन), ६३.३४/२.२.३४(वृक्षों व पृथिवी से उत्पन्न कन्या मारिषा व प्रचेताओं से दक्ष के जन्म का कथन), विष्णु १.१५(प्रम्लोचा से मारिषा के जन्म की कथा, वृक्ष - कन्या, प्रचेतागण से विवाह, दक्ष पुत्र की उत्पत्ति, पूर्व जन्म का वृत्तान्त), ४.१४.२६(शूरसेन - पत्नी, वसुदेव आदि की माता), विष्णुधर्मोत्तर १.११०(वृक्षों की पुत्री, प्रचेतागण से विवाह, दक्ष को जन्म देना), हरिवंश १.२.४१(प्रचेतागण की भार्या, दक्ष - माता), लक्ष्मीनारायण १.३१८.८४(सती व शिव की मानसी पुत्री वम्री का दस प्रकार के वृक्षों की पुत्रियों के रूप में जन्म लेकर दस प्रचेताओं की पत्नी बनना ) maarishaa
मारीच पद्म ५.११२(मारीच राक्षस द्वारा शोण मुनि का रूप धारण करके मुनि की पत्नी कला से बलात्कार की चेष्टा), ब्रह्मवैवर्त २.४.५४(मारीच द्वारा वाक्पति को सरस्वती मन्त्र प्रदान का उल्लेख), ब्रह्माण्ड १.२.११.१९(मारीची : पर्जन्य व मारीची से हिरण्यरोमा पुत्र के जन्म का उल्लेख), २.३.१.५०(पितरों के गण में से एक), २.३.५.३५(सुन्द व ताडका - पुत्र, राघव द्वारा वध), २.३.७.६(मारीची : २४ मौनेया अप्सराओं में से एक), भागवत ४.१.१३(मरीचि व कला से कश्यप प्रजापति व पूर्णिमा के जन्म का उल्लेख), ९.१०.१०(राम द्वारा हरिण वेश धारी मारीच के वध का उल्लेख, मारीच वध की दक्ष वध से उपमा), मत्स्य ४.४५(अन्तर्धान व शिखण्डिनी - पुत्र, पृथु वंश), ६.१८(मारीचि : दनु व कश्यप के १०० पुत्रों में से एक), ६.२३(मारीच से पौलोम, कालकेय आदि षष्टि सहस्र दानवों की उत्पत्ति का कथन), १४.१(मारीच नन्दन देवपितरों के सोम पथ लोकों में वास का कथन), २३.२५(मारीच कश्यप - पत्नी वसु द्वारा पति को त्याग सोम की सेवा में जाने का उल्लेख), १९९.९(मरीचि कश्यप कुल के गोत्रकार ऋषियों के कुल में एक), वायु २८.१५(पर्जन्य व मारीची के हिरण्यरोमा पुत्र के जन्म का उल्लेख), ३०.७२(मारीच कश्यप की पतिव्रता पत्नी अदिति का उल्लेख), ६५.१०९/ २.४.१०९(मारीच वंश के अन्तर्गत मरीचि व सुरुचि दिति से अरिष्टनेमि कश्यप प्रजापति की उत्पत्ति का कथन), ६७.४३/२.६.४३(मारीच कश्यप व अदिति से १२ आदित्यों के जन्म का उल्लेख), ६९.५(मारीची : ३४ मौनेया अप्सराओं में से एक), १००.२०/२.३८.२०(वैवस्वत मन्वन्तर में मारीच कश्यप के पुत्रों के सावर्णि मन्वन्तर में ? देवगण बनने का उल्लेख), विष्णुधर्मोत्तर १.११५.१(मारीच कश्यप कुल के गोत्रकार ऋषियों के नाम), हरिवंश १.३.१०२(सुन्द व ताडका - पुत्र), वा.रामायण १.२४.२७(ताटका - पुत्र, ताटका वन में वास, प्रजा को त्रास प्रदान), १.३०.१२(ताटका - पुत्र, राम द्वारा मानवास्त्र से निग्रह), ३.३१.३६(मारीच द्वारा रावण को सीता हरण न करने का परामर्श), ३.३८+ (रावण से वार्तालाप में मारीच द्वारा विश्वामित्र के यज्ञ में स्व पराभव का कथन), ३.४२(मारीच द्वारा मृग का रूप धारण, मृग की शोभा का वर्णन), ३.४४(राम द्वारा मृग रूप धारी मारीच का वध), ४.४२.३(सुग्रीव द्वारा अर्चिष्मान् नामक मरीचि - पुत्र मारीच तथा अर्चिमाल्यान् नामक मरीचि - पुत्रों मारीचों/वानरों को सीता अन्वेषण हेतु पश्चिम दिशा में भेजना), लक्ष्मीनारायण २.१८३.४२(राक्षसों के राजा मारीच द्वारा युद्ध में माया मन्त्रों के प्रयोग से शलभ नाग आदि की सृष्टि करना, श्रीहरि द्वारा सुदर्शन चक्र से मारीच का वध ) maareecha/ maricha, द्र. मरीचि |