पुराण विषय अनुक्रमणिका PURAANIC SUBJECT INDEX (From Paksha to Pitara ) Radha Gupta, Suman Agarwal & Vipin Kumar
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पत्नी श्री किरीट शाह के अनुसार लोक में देखा जाता है कि पूजा कार्य में पत्नी पति के बांयी ओर भी विराजमान होती है, दांयी ओर भी । शास्त्रों के आधार पर वास्तविकता क्या है ? कुछ पण्डितों द्वारा इसका उत्तर यह दिया जाता है कि पत्नी पति के बांयी ओर केवल एक बार ही बैठती है - विवाह में । फिर तो वह सदा दांयी ओर ही बैठती है । इस प्रश्न का उत्तर अग्निहोत्र, सोमयाग आदि यज्ञों में पत्नी के विराजमान होने का क्या विधान है, इस आधार पर खोजा जा सकता है । आपस्तम्ब श्रौत सूत्र ६.५.१ में पत्नी के आयतन का कथन है । यागों में पत्नी के विराजमान होने के कुछ मुख्य स्थान हैं, जैसा कि चित्र में दिखाया गया है । एक विकल्प यह है कि पत्नी गार्हपत्य अग्नि पर दक्षिण दिशा में उत्तराभिमुख होकर बैठे । पत्नी के दांयी ओर यजमान और यजमान के दांयी ओर ब्रह्मा नामक ऋत्विज विराजमान होता है । दूसरा विकल्प यह है कि पत्नी गार्हपत्य अग्नि पर पश्चिम दिशा में पूर्वाभिमुख होकर बैठे । तब भी बैठने का क्रम यही है । तीसरी संभावना यह है कि पत्नी गार्हपत्य अग्नि पर दक्षिण दिशा में पूर्वाभिमुख होकर बैठे और यजमान आहवनीय अग्नि पर दक्षिण दिशा में उत्तराभिमुख होकर बैठे । यजमान के दक्षिण में ब्रह्मा विराजमान होता है । चौथी संभावना यह है कि पत्नी उत्तरवेदी में सदोमण्डप में दक्षिण दिशा में उत्तराभिमुख होकर बैठे । तब भी यजमान पत्नी के दांयी ओर विराजमान होता है और यजमान के दांयी ओर ब्रह्मा ।
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