पुराण विषय अनुक्रमणिका PURAANIC SUBJECT INDEX (From Paksha to Pitara ) Radha Gupta, Suman Agarwal & Vipin Kumar
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Puraanic contexts of words like Parashuraama, Paraa / higher, Paraavasu, Paraashara etc are given here. परशुराम अग्नि ४.१२( परशुराम अवतार का संक्षेप में वर्णन ), गणेश १.८२.४२( गणेश द्वारा राम की भक्ति से प्रसन्न होकर परशु प्रदान करना ), गरुड ३.२९.५३(आर्तिक्य? काल में परशुराम के स्मरण का निर्देश), नारद २.७४.८( समुद्र - प्लावित गोकर्ण क्षेत्र के उद्धार हेतु परशुराम द्वारा समुद्र पर अग्नि बाण के संधान का वृत्तान्त ), पद्म १.५५.३३(शन्तनु - पत्नी अमोघा द्वारा ब्रह्मा के वीर्य से उत्पन्न गर्भ के युगन्धर में मोचन का उल्लेख, परशुराम का जन्म), ६.४५.४३( फाल्गुन शुक्ल एकादशी को जामदग्नि पूजा का विधान, न्यास विधि ), ६.२४१( परशुराम अवतार की कथा, इक्ष्वाकु कुल के अतिरिक्त अन्य क्षत्रियों का संहार ), ब्रह्म १.८.५२( चरु विपर्यास प्रसंग में जमदग्नि - पुत्र परशुराम के जन्म का कथन ), १.१०४.१०६( अवतारों में परशुराम अवतार की महिमा का संक्षेप में वर्णन ), ब्रह्मवैवर्त्त ३.२७.३७( जमदग्नि की मृत्यु होने पर परशुराम द्वारा कार्तवीर्य को नष्ट करने की प्रतिज्ञा आदि ), ३.३३( परशुराम द्वारा पुष्कर में तप, स्वप्न - दर्शन ), ३.३४.१( परशुराम द्वारा कार्त्तवीर्य को दूत प्रेषण ), ३.४०( युद्ध में परशुराम द्वारा कार्त्तवीर्य के वध का वृत्तान्त ), ३.४२( परशुराम द्वारा शिव के अन्त:पुर में जाने के आग्रह पर गणपति से विवाद ), ३.४३( परशुराम द्वारा गणेश का दन्त भङ्ग करना ), ४.९६.३५( चिरजीवियों में से एक ), ब्रह्माण्ड २.३.२१( परशुराम द्वारा पितामह भृगु / ऋचीक के दर्शन के लिए गमन का वर्णन, भृगु द्वारा हिमालय पर तप द्वारा शिव से अस्त्र प्राप्त करने का निर्देश ), २.३.२२( परशुराम द्वारा हिमालय की शोभा का दर्शन व तप ), २.३.२३( तपोरत परशुराम की मृगव्याध रूप धारी शिव द्वारा परीक्षा ), २.३.२४+ ( परशुराम द्वारा शिव से परशु की प्राप्ति, शिव आदेश से असुर वध, शिव की स्तुति, अस्त्र प्राप्ति, विप्र - पुत्र अकृतव्रण की व्याघ्र| से रक्षा, क्षत्रिय वध की कथा ), २.३.३२( क्षत्रिय वध हेतु परशुराम द्वारा ब्रह्मा व शिव की अनुमति प्राप्त करना, शिव की स्तुति ), २.३.३४+ ( मृगी के वचन सुनकर परशुराम द्वारा अगस्त्य से कृष्ण प्रेमामृत स्तोत्र को ग्रहण करना ), २.३.३७( परशुराम द्वारा कृष्ण के दर्शन व स्तुति ), २.३.४१( परशुराम द्वारा गणेश पर परशु से प्रहार की कथा ), २.३.४३.१( परशुराम द्वारा रुष्ट पार्वती की स्तुति ), २.३.४५+ ( शूरसेनों द्वारा जमदग्नि की हत्या पर परशुराम द्वारा क्षत्रिय वध की कथा ), २.३.४७( परशुराम द्वारा हयमेध का अनुष्ठान, कश्यप को पृथिवी दान में देना ), २.३.५७+ ( गोकर्ण क्षेत्र के उद्धार हेतु परशुराम द्वारा वरुण का निग्रह, शूर्पारक क्षेत्र की स्थापना ), भविष्य ३.४.२५.८७( चाक्षुष मन्वन्तर में कन्या राशि में परशुराम की उत्पत्ति का उल्लेख ), ४.८३.१२०( वित्त प्राप्ति के लिए अवतारों में परशुराम की अर्चना का निर्देश ), भागवत ६.८.१५( परशुराम से अद्रि कूटों में रक्षा की प्रार्थना ), ९.१५( पितृ - हत्यारे सहस्रबाहु अर्जुन का वध ), ९.१६( परशुराम द्वारा माता का वध व पुनरुज्जीवन, क्षत्रिय संहार ), वराह ४४( परशुराम का न्यास ), ४८.२१( वित्त हेतु जमदग्नि - पुत्र परशुराम के यजन का निर्देश ),विष्णुधर्मोत्तर १.३५.२१( जमदग्नि - भार्या रेणुका से उत्पन्न कनीयस् पुत्र परशुराम का उल्लेख ), १. २.१ - १८३( पुष्कर द्वारा राम हेतु राजोचित धर्म का विशद वर्णन ), १.३६( परशुराम द्वारा माता का वध, जमदग्नि से वर प्राप्ति ), १.४९( परशुराम द्वारा साल्व असुर का वध, शिव द्वारा परशुराम को अस्त्र प्रदान ), १.५१+ ( परशुराम व शिव के संवाद के रूप में शङ्कर गीता का आरम्भ ), १.६६( शिव द्वारा परशुराम को पातालवासी दैत्यों के वध का आदेश तथा दैत्यों के नाश हेतु चाप रत्न व अक्षय सायक वाले तूण प्रदान करना ), १.२३७.१५( परशुराम से रोग नाश की प्रार्थना ), ३.११९.८( परशुराम की प्रतिज्ञा पारण में पूजा ), स्कन्द १.२.१३.१८५( शतरुद्रिय प्रसंग में परशुराम द्वारा यवाङ्कुर लिङ्ग की भर्गादित्य नाम से पूजा ), ३.१.२२.१८( परशुराम की पत्नी के रूप में धरणी का उल्लेख), ४.२.६१.२०८( विष्णु के ३० परशुराम रूपों का उल्लेख ), ४.२.८३.७५( परशुराम तीर्थ का संक्षिप्त माहात्म्य ), ५.३.२१८.२७( जामदग्न्य तीर्थ के माहात्म्य के संदर्भ में कार्त्तवीर्य अर्जुन द्वारा जमदग्नि की हत्या पर परशुराम द्वारा कार्त्तवीर्य अर्जुन तथा क्षत्रियों का वध, उनके रक्त से समन्तपञ्चक क्षेत्र में ५ ह्रदों की रचना, ह्रदों में स्नान, श्राद्ध आदि का महत्त्व ), ६.६७( कार्त्तवीर्य अर्जुन द्वारा पिता जमदग्नि की हत्या पर परशुराम द्वारा पुलिन्दों आदि के साथ कार्त्तवीर्य अर्जुन व उसकी सेना का वध, कार्त्तवीर्य के रक्त से हाटकेश्वर क्षेत्र में गर्तों का पूरण ), ६.६८( परशुराम द्वारा कार्त्तवीर्य के रक्त से पितरों का तर्पण, विप्रों को पृथिवी दान, स्वयं के निवास हेतु समुद्र से स्थान की प्राप्ति ), ६.६९( क्षेत्रज क्षत्रियों द्वारा विप्रों से भूमि हरण पर परशुराम द्वारा २१ बार क्षत्रियों का वध, क्षत्रियों के रक्त से बने ह्रद से पितरों का तर्पण, राम ह्रद में श्राद्ध का माहात्म्य ), ६.९४( ब्राह्मणों के अनुरोध पर परशुराम द्वारा स्वकुठार को लोहयष्टि में बदलना ), ६.१६६.४४( चरु विपर्यय प्रसंग में ऋचीक द्वारा स्वभार्या को पुत्र की अपेक्षा पौत्र के क्षात्रबल से युक्त होने का कथन ), ७.१.१२१( माता के वध के पश्चात् परशुराम द्वारा तप, लिङ्ग स्थापना, पृथिवी को क्षत्रिय हीन करना ), ७.१.१९६( क्षत्रिय वध जनित घृणा से निवृत्ति हेतु परशुराम द्वारा जल प्रभासेश्वर लिङ्ग के दर्शन ), ७.३.४९( परशुराम तीर्थ का माहात्म्य, शत्रु विनाशार्थ ), हरिवंश १.२७.३९( आर्चीक व कामली / रेणुका से परशुराम के जन्म का उल्लेख ), १.४१( परशुराम द्वारा कार्त्तवीर्य का वध ), २.३९.२१+ ( मथुरा से पलायन करते कृष्ण व बलराम से परशुराम का संवाद, परशुराम द्वारा कृष्ण व बलराम को भविष्य में होने वाली घटनाओं का वर्णन ), वा.रामायण १.७४.१७+ ( राम द्वारा शिव के धनुष भञ्जन पर परशुराम का रोष आदि ), १.७६( राम द्वारा वैष्णव धनुष से परशुराम के तप:प्राप्त पुण्य लोकों का नाश, परशुराम का महेन्द्र पर्वत को गमन ), लक्ष्मीनारायण १.२४४( रेणुका द्वारा फाल्गुनकृष्ण विजया एकादशी व्रत से श्रीहरि के अवतार परशुराम को पुत्र रूप में प्राप्त करना, परशुराम द्वारा विजया एकादशी व्रत के प्रभाव से कार्त्तवीर्य का वध ), १.२६८.२२( ज्येष्ठ शुक्ल तृतीया को परशुराम जयन्ती उत्सव विधि का कथन ), १.३८०.६६( मृग - मृगी का व्याध को देखकर तपोरत परशुराम का आश्रय लेकर निर्भय होना, जातिस्मर होना ), १.३८१.२२( परशुराम द्वारा शिव से परशु की प्राप्ति ), १.३८१.१२७( पितृवधकर्ता कार्त्तवीर्य के वध हेतु परशुराम द्वारा शिव से अस्त्रों की प्राप्ति, कार्त्तवीर्य व अन्य क्षत्रियों का वध, समन्तपञ्चक क्षेत्र में तर्पण आदि ), १.४५७.७( कार्त्तवीर्य वध हेतु परशुराम द्वारा शङ्कर से कृष्ण कवच की प्राप्ति, शकुनों का दर्शन ), १.४५८.१( परशुराम द्वारा कार्त्तवीर्य के वध हेतु कार्त्तवीर्य के शिव कवच की प्राप्ति, विष्णु द्वारा कार्त्तवीर्य के महालक्ष्मीकवच की याचना आदि ), १.४५८.१३१( गणेश द्वारा परशुराम का प्रवेश रोकने पर परशुराम द्वारा गणेश के दन्त का छेदन ), २.२४३.५५( कृष्ण - भक्त हेमकल्गि नृप से परशुराम की पराजय, राजा द्वारा सुदर्शन चक्र की रश्मियों से परशुराम का बन्धन व मोचन ), ३.९४.१५( परशुराम द्वारा समुद्र से आप्लावित गोकर्ण क्षेत्र के उद्धार का उद्योग ), ३.१७०.१७( ३४ धामों में २४वें धाम के रूप में पर्शुराम धाम का उल्लेख ), parashuraama/ parashurama Esoteric aspect of Parashurama परा अग्नि ३८३.४( परा - अपरा विद्या के रूप में अग्नि पुराण का महत्त्व ), नारद १.६६.९६( बलानुज विष्णु की शक्ति परा का उल्लेख ), ब्रह्म २.९१.६( पर पुरुष व अपरा प्रकृति से ब्रह्मा द्वारा सृष्टि रचना का वर्णन ), ब्रह्माण्ड २.३.७४.१३( पराक्ष : अनु के ३ पुत्रों में से एक ), ३.४.१८.१४( पराङ्कुशा : ललिता देवी के २५ नामों में से एक ), ३.४.३५.९९( निवृत्ति आदि १६ शक्तियों में से एक परा का उल्लेख ), ३.४.३९.९( हयग्रीव व अगस्त्य के संवाद में त्रिपुरा/कामाक्षी देवी के चित्परा, शुद्धपरा, परापरा व परा, परात्परा भेदों का निरूपण ), ३.४.४४.१४१( १६ शक्तियों में से एक ), वायु ४३.२०( पराचक : भद्राश्व देश के जनपदों में से एक ), ४५.९८( पारियात्र पर्वत से नि:सृत नदियों में से एक ), विष्णु ६.७.६१( विष्णु की परा, अपरा व अविद्या शक्तियों का वर्णन ), शिव ६.१६.५४( पराशक्ति से चित् व चित् शक्ति से आनन्द शक्ति का उद्भव ) paraa
पराक् द्र. पाराक
पराक्रम वामन ५७.६३( विष्णु द्वारा स्कन्द को प्रदत्त ३ गणों में से एक ),
पराङ्व्रत लक्ष्मीनारायण २.२२३.८३( आशासना पुरी के राजा पराङ्व्रत द्वारा श्रीहरि के स्वागत का वर्णन )
परायत्त लक्ष्मीनारायण २.५.८०( हिरण्यकूर्च असुर के भय से ब्रह्मा के हृदय से उत्पन्न ८ पुत्रों में से एक ),
परार्द्ध वायु ७.१०( कल्पों के संदर्भ में अपरार्द्ध, पर, परार्द्ध का निरूपण ), १००.२४१/२.३८.२४१( अज/ब्रह्मा की आयु परार्द्ध की द्विगुण होने का उल्लेख ), १०१.९९/२.३९.९९( परार्द्ध संख्या मान का निरूपण ), विष्णु १.३.५( ब्रह्मा की आयु के परार्द्ध मान का कथन ), १.३.२७( ब्रह्मा के द्वितीय परार्द्ध के वाराह कल्प नाम का कथन ), ६.३.३( प्राकृत प्रतिसंचर/लय के संदर्भ में परार्द्ध संख्या का निरूपण ) paraardha
परावसु गरुड ३.९.४(१५ अजान देवों में से एक), गर्ग ७.४२.१३( परावसु गन्धर्व के ९ पुत्रों के जन्मान्तरों का वृत्तान्त ), ब्रह्माण्ड १.२.२३.१३( परावसु गन्धर्व की सूर्य के रथ के साथ स्थिति का कथन ), भविष्य १.११६( परावसु द्वारा सत्राजित् के पूर्व जन्म के वृत्तान्त का वर्णन ), स्कन्द ३.१.३३.७( रैभ्य - पुत्र, अर्वावसु - अग्रज, पिता की हत्या का दोष कनिष्ठ भ्राता पर आरोपित करना ), ६.१९७( विश्वावसु - पुत्र, वेश्यागृह में मदपान जनित दोष की निवृत्ति हेतु रत्नावती के अधरों का पुत्र रूप में पान ), paraavasu
परावह मत्स्य १६३.३२( ७ मरुतों में से एक ), द्र. आवह, मरुत
परावृत~ विष्णु ४.१२.१०( रुक्मकवच - पुत्र, रुक्मेषु आदि ५ पुत्रों के नाम, यदु वंश )
पराशर कूर्म २.११.१२९( पराशर द्वारा सनक से ज्ञान प्राप्ति ), गणेश २.१०५.६२( द्विज रूप धारी विश्वदेव असुर द्वारा पराशर द्वारा पूजित मृण्मय गणेश को लड्डू आदि भक्षण करते देखना ), २.१३३.१६( पराशर द्वारा जंगल में त्यक्त बालक गजानन का ग्रहण ), देवीभागवत २.२( पराशर द्वारा समागम हेतु सत्यवती के शरीर में दिव्यता प्रदान करना ), ९.२६.१३( पराशर द्वारा अश्वपति को सावित्री पूजा विधान का कथन ), ब्रह्मवैवर्त्त २.५१.५६( पराशर द्वारा सुयज्ञ नृप से शूद्र की सेवा के पाप का निरूपण ), ब्रह्माण्ड १.१.१.९( वसिष्ठ द्वारा ब्रह्माण्ड पुराण को स्वपौत्र पराशर को तथा पराशर द्वारा जातूकर्ण्य को अध्यापन का उल्लेख ), १.२.३२.११५( ७ ब्रह्मवादी वशिष्ठों में से एक ), १.२.३४.२७( पाराशर : बाष्कलि के वेदाध्यायी शिष्यों में से एक ), १.२.३५.२९( याज्ञवल्क्य के १५ वाजी शिष्यों में से एक ), १.२.३५.४२( सामग आचार्य कुशुम के ३ शिष्यों में से एक ), १.२.३५.५४( पाराशर्य : कृत के २४ सामग शिष्यों में से एक ), १.२.३५.१२४( २८ द्वापरों के वेदव्यासों में से एक? ),२.३.९.९१( शक्ति व अदृश्यन्ती से पराशर तथा काली व पराशर से कृष्ण द्वैपायन के जन्म का उल्लेख ), ३.४.४.६५( शक्ति - पुत्र पराशर द्वारा गर्भ में ब्रह्माण्ड पुराण श्रवण का उल्लेख ), भविष्य ३.४.२१.१४( कलियुग में पराशर का कण्व - पौत्रों के रूप में जन्म ), भागवत १.३.२१( १७वें अवतार में विष्णु का सत्यवती व पराशर से जन्म का कथन ), ९.२२.२१( वही), १२.६.४९( वही), १२.६.५५( बाष्कल द्वारा ऋग्वेद संहिता के ४ भाग करके पराशर सहित ४ शिष्यों को देने का उल्लेख ), मत्स्य ४७.२४६( अष्टम अवतार के रूप में विष्णु का २८वें द्वापर में पराशर से वेदव्यास के रूप में जन्म ), १४५.९५( पराशर द्वारा सत्य प्रभाव से ऋषिता प्राप्ति का उल्लेख ), २०१.३१( शक्ति - पुत्र, वंश व गोत्र का कथन ), लिङ्ग १.२४.११७( २६वें द्वापर में व्यास ), १.६३.८४( पराशर वंश का वर्णन ), १.६४( अदृश्यन्ती से पराशर के जन्म की कथा ), वायु १.२.११( नैमिषारण्य में शक्ति - पत्नी अदृश्यन्ती से पराशर के जन्म का उल्लेख ), ७०.८३/२.९.८३( नैमिष क्षेत्र में अदृश्यन्ती से पराशर के जन्म का उल्लेख, सागर संज्ञा ), २३.१४४/१.२३.१३४( ९वें द्वापर के ऋषभ अवतार के पुत्रों में से एक ), २३.२१२/१.२३.२००( २६वें द्वापर के वेदव्यास के रूप में पराशर का उल्लेख ), ५९.१०५( १० मन्त्र ब्राह्मण कारक ऋषियों में से एक ), ६०.२६( पाराशर : बाष्कलि के वेदाध्यायी ४ शिष्यों में से एक ), ६१.४१( पाराशर्य संज्ञा वाले कौथुम के शिष्यों का कथन ), ६१.४७( कृत के २४ सामग शिष्यों में से एक ), ७०.८७( पराशर के आठ पक्ष/गोत्र नाम ), १०३.६५/२.४१.६५( शक्ति - पुत्र पराशर द्वारा गर्भ में ब्रह्माण्ड? पुराण का श्रवण कर जातूकर्ण्य को सुनाने का उल्लेख ), विष्णु १.१+ ( पराशर द्वारा मैत्रेय शिष्य को विष्णु पुराण रूपी उपदेश, राक्षसों के विनाश हेतु यज्ञ, यज्ञ बन्द करने पर पुलस्त्य से वर प्राप्ति ), ३.४.१८( बाष्कल द्वारा ऋग्वेद संहिता का चतुर्धा विभाजन कर पराशर आदि ४ शिष्यों को देने का उल्लेख ), विष्णुधर्मोत्तर १.११७.३२( कृष्ण, नील, रक्त, श्वेत, गौर आदि पराशर गोत्रों का कथन ), शिव ३.५.२६( २६वें द्वापर में पराशर के व्यास होने के समय शिव अवतार व उनके शिष्यों के नाम ), स्कन्द ३.१.१२.६०( संकट ग्रस्त मनोजव राजा पर पराशर की कृपा तथा उसका अभिषेक करना ), ३.१.२३.२६( देवों के यज्ञ में पराशर के ग्रावस्तुत होने का उल्लेख ), ३.३.२०.२३( रुद्राक्ष धारण के महत्त्व के संदर्भ में भद्रसेन राजा को कुक्कुट व मर्कट द्वारा रुद्राक्ष धारण के फल का वर्णन ), ३.३.२१.७( पराशर द्वारा भद्रसेन नृप को रुद्राध्याय की महिमा का वर्णन ), ४.२.६५.२( पराशरेश्वर लिङ्ग का संक्षिप्त माहात्म्य : ज्ञान प्राप्ति ), ५.३.७६( नर्मदा के दक्षिण? तट पर पारेश्वर लिङ्ग का माहात्म्य ), ५.३.९७.१०( व्यास तीर्थ के संदर्भ में पराशर द्वारा निषाद कन्या को उसके जन्म के रहस्य का वर्णन, व्यास का जन्म ), ५.३.९७.९०( पराशर आदि ऋषियों द्वारा व्यास से नर्मदा के केवल उत्तर तट पर ही भोजन करने की मांग, व्यास द्वारा तप से भोजन की प्राप्ति ), ५.३.२३१.२१( रेवा तट पर २ पराशरेश्वर लिङ्गों के होने का उल्लेख ), लक्ष्मीनारायण १.४१०.५३( शक्ति व अदृश्यन्ती - पुत्र, जन्म समय पर पितरों आदि के हर्ष का कथन ), १.४३७.३५( शत्रु से पराजित राजा मनोजव की पतिव्रता पत्नी सुमित्रा को पराशर द्वारा शत्रु पर विजय प्राप्त करने का उपाय बताना ), १.४८२.२( पराशर व मत्स्यगन्धा कन्या से व्यास के जन्म का वृत्तान्त ) paraashara/ parashara
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