पुराण विषय अनुक्रमणिका PURAANIC SUBJECT INDEX (From Paksha to Pitara ) Radha Gupta, Suman Agarwal & Vipin Kumar
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Puraanic contexts of words like Padmaraaga, Padmaa, Padmaavati, Padminee / Padmini, Panasa etc. are given here. पद्ममालिनी लक्ष्मीनारायण १.३११.४०( समित्पीयूष नृप की २७ पत्नियों में से एक, कृष्ण को मिष्टान्न, शाकपायस देने का उल्लेख )
पद्मरति कथासरित् ९.२.९३( महावराह व पद्मरति की कन्या अनङ्गसुन्दरी का वृत्तान्त ), ९.२.१५४( पद्मरति - पुत्री अनङ्गरति की मृत्यु का प्रसंग ), १२.१६.७( वीरदेव व पद्मरति की कन्या अनङ्गरति के विवाह का वृत्तान्त )
पद्मराग गरुड १.७०( पद्मराग मणि की महिमा, वल असुर के रक्त के रावण गङ्गा में पतन से उत्पत्ति की कथा ), पद्म ६.६.२६( बल असुर के क्षतज/रक्त? से पद्मराग मणि की उत्पत्ति का उल्लेख ), भागवत ११.१६.३०( भगवान् के रत्नों में पद्मराग होने का उल्लेख ), लक्ष्मीनारायण २.१४०.३५( पद्मराग नामक प्रासाद में अण्डकों, तलभागों तथा तिलकों की संख्याओं का कथन ) padmaraaga
पद्मवर्ण ब्रह्माण्ड २.३.७.१२९( देवजनी व मणिवर यक्ष के यक्ष/गुह्यक पुत्रों में से एक ), वायु ६९.१६०/२.८.१५५( वही), स्कन्द ३.३.४.४०( वसुमती - पति, पूर्व ७ जन्मों का वृत्तान्त ), हरिवंश २.३८.२६( यदु - पुत्र, पद्मावत जनपद की स्थापना ), लक्ष्मीनारायण १.३११.४६( पद्मवर्णा : समित्पीयूष नृप की २७ पत्नियों में से एक, कृष्ण को शंख देने का उल्लेख ) padmavarna
पद्मवेग कथासरित् १०.९.५८( पद्मवेग विद्याधर के पुत्र वज्रवेग का वृत्तान्त : पिता के शाप से सिंह बनना )
पद्मशेखर कथासरित् १७.२.२५( इन्द्र का विद्याधरराज मित्र पद्मशेखर के साथ विद्युद्ध्वज असुर से लडने हेतु युद्धक्षेत्र में आने का उल्लेख ), १७.२.८२( पद्मशेखर द्वारा तप से शिव से वर प्राप्त करने का कथन ), १७.२.१३६( पद्मशेखर द्वारा कन्या की प्राप्ति का कथन )
पद्मसेन कथासरित् ७.८.१९९( विद्याधर मुक्तसेन व कम्बुवती - पुत्र पद्मसेन द्वारा पिता के शाप के कारण पृथ्वी पर जन्म लेने और मुक्ति का वृत्तान्त ), १२.६.४००( पद्मसेन के पिता राजा श्रीसेन व माता पद्मिष्ठा के पूर्व जन्म का वृत्तान्त ) padmasena
पद्मा गर्ग २.१७.११/२.२०( पद्मा गोपी द्वारा राधा को भालतिलकबिन्दु/बिन्दी भेंट करने का उल्लेख ), नारद १.१२०.३७( पद्मा एकादशी व्रत विधि : कटिदान की विधि ), पद्म ५.७०.६( कृष्ण - पत्नी, दक्षिण दिशा में स्थिति ), ब्रह्मवैवर्त्त २.६.२०( लक्ष्मी के लिए पद्मा शब्द का प्रयोग ), ३.२२.९( पद्मा लक्ष्मी द्वारा मस्तक की रक्षा ), ४.४१.१२२( अनारण्य - कन्या, पिप्पलाद - पत्नी, धर्म से संवाद, वर प्राप्ति ), मत्स्य २६२.११( पद्मा प्रकार की पीठिका के लक्षणों का कथन ), २६२.१८( पद्मा पीठिका के सौभाग्यदायक होने का उल्लेख ), विष्णु १.८.२४( विष्णु की पितृगण व पद्मा की स्वधा से उपमा ), शिव २.३.३४( अनरण्य - पुत्री, पिप्पलाद से विवाह का वृत्तान्त ), २.३.३५( धर्म द्वारा पद्मा के पातिव्रत्य की परीक्षा, पद्मा का धर्म से संवाद ), ५.८.२१( नरक की २८ कोटियों में से एक ), स्कन्द ४.२.७२.५९( पद्मा देवी द्वारा पाणिफलक की रक्षा ), ५.१.४४.६( समुद्र मन्थन से उत्पन्न लक्ष्मी / पद्मा का नारद के परामर्श पर महाकालवन में स्थित होना, उज्जयिनी का पद्मावती नाम होना आदि ), ७.४.१२.३२( पद्मा गोपी द्वारा कृष्ण - विरह पर प्रतिक्रिया ), लक्ष्मीनारायण १.२५७( पद्मा एकादशी व्रत का वर्णन ), १.२६५.१०( त्रिविक्रम की पत्नी पद्माक्षा का उल्लेख ), १.३७२.१०( अनरण्य - कन्या पद्मा का पिप्पलाद ऋषि की पत्नी बनने पर धर्म द्वारा पद्मा के पातिव्रत्य की परीक्षा, पद्मा का धर्म को चतुष्पाद होने का शाप ), १.३८५.३१(पद्मा का कार्य), ४.१०१.१०९( कृष्ण की पत्नियों में से एक, नाल व रजपत्रिणी - माता ) padmaa
पद्माकर भविष्य ३.३.२५.७( शारदानन्दन / कामपाल - पुत्र, भगिनी पद्मिनी के स्वयंवर में तक्षण तथा अन्यों का शाम्बरी माया द्वारा बन्धन ), ३.३.२५.२७( कामपाल राजा - पुत्र, पद्मिनी - भ्राता, लक्षण व सहयोगियों को माया से बांधना ), ३.३.३०.१०( पद्माकर द्वारा विष देकर लक्षण का बन्धन आदि ), ३.३.३०.८५( पद्माकर का पिता सहित अन्तर्द्धान होकर युद्ध व कृष्णांश द्वारा पद्माकर का बन्धन ), स्कन्द ३.३.१०.३२( पद्माकर वैश्य द्वारा राजपुत्र भद्रायु के पालन का वृत्तान्त ) padmaakara
पद्माक्ष लिङ्ग २.१.५८( पद्माक्ष द्विज द्वारा कौशिक द्विज को अन्न दान से धनद बनना ), स्कन्द ७.४.१७.२०( द्वारकापुरी के दक्षिण द्वार की रक्षा करने वाले क्षेत्रपालों में से एक ), लक्ष्मीनारायण १.३११.३९( पद्माक्षी : समित्पीयूष नृप की २७ पत्नियों में से एक, कृष्ण को यज्ञोपवीत व योगपट्ट देने का उल्लेख ), padmaaksha
पद्मावती गर्ग २.१७.११/२.२०.११(पद्मावती द्वारा राधा को नासामौक्तिक प्रस्तुत करने का उल्लेख), पद्म २.४८.५( उग्रसेन - भार्या, उग्रसेन रूप धारी गोभिल दैत्य से समागम, कंस पुत्र की उत्पत्ति ), ६.१८४.७२( अप्सरा, दुर्वासा शाप से पद्म - अङ्गी होना, गीता के दशम अध्याय के पाठ से मुक्ति, पूर्व जन्म का वृत्तान्त ), ७.४(प्रयाग माहात्म्य प्रसंग में प्रणिधि - पत्नी, श्वपच का प्रणिधि रूप धारण, स्वर्ग गमन ), ब्रह्मवैवर्त्त २.६.८६( गङ्गा, सरस्वती व लक्ष्मी की कलह में लक्ष्मी / पद्मा का शापवश भारत में पद्मावती नदी व तुलसी वृक्ष बनने का कथन ), ४.१३.३८( गिरिभानु गोप - पत्नी, यशोदा -माता ), ४.९४.२१( पद्मावती द्वारा कृष्ण विरह से ग्रस्त राधा को सांत्वना ), भविष्य ३.२.१.९( दन्तवक्त्र - कन्या, वज्रमुकुट से रमण तथा पिता द्वारा निष्कासन की कथा , वेताल - विक्रम संवाद ), ३.४.९.४१( सत्यव्रत ब्राह्मण - पुत्री, जयदेव विप्र की पत्नी बनकर जयदेव की सेवा करने का वृत्तान्त ), भागवत १२.१.३७( मागध राजा पुरञ्जय की पद्मवती पुरी होने का उल्लेख ), मत्स्य ४५.२१( भङ्गकार व व्रतवती की ३ कन्याओं में से एक, कृष्ण - पत्नी ), लिङ्ग २.५.११( त्रिशङ्कु - भार्या, अम्बरीष - माता ), वामन ५७.९६( बदरिकाश्रम द्वारा कार्तिकेय को प्रदत्त गण का नाम ), विष्णु ४.२४.६४( ९ मागध/नाग राजाओं द्वारा पद्मवती पुरी के भोग का उल्लेख, पद्मवती पुरी की सीमाओं का उल्लेख ), शिव ५.८.२१( नरक की २८ कोटियों में से एक ), स्कन्द २.१.३.२१( आकाशराज द्वारा पृथिवी के शोधन से प्राप्त कन्या का आकाश व धरणी - कन्या पद्मावती बनने का वृत्तान्त ), २.१.४.१( नारद द्वारा पद्मावती का पद्मिनी नामकरण व पद्मिनी के सामुद्रिक लक्षणों की लक्ष्मी के लक्षणों से तुलना ), २.१.४.३८( हयारूढ श्रीनिवास का पद्मावती से वार्तालाप ), २.१.५.१( पद्मावती के दर्शन से भगवान् श्रीनिवास को मोह प्राप्ति ), २.१.५.१८( पद्मावती के पूर्वजन्म में वेदवती / सीता होने का वर्णन ), २.१.६.५०( पद्मावती द्वारा माता को दृष्ट पुरुष के लक्षणों का वर्णन ), २.१.८.१८( भगवान् श्रीनिवास का पद्मावती से परिणय ), ५.१.३६.७( षष्ठम कल्प में उज्जयिनी का नाम ), ६.१७७.३६( विश्वक्सेन - पुत्री, काशिराज जयसेन - भार्या, पांच पिण्डिका गौरी पूजा से सौभाग्य प्राप्ति की कथा, पूर्व जन्म का वृत्तान्त ), हरिवंश २.४५.४८( शृगाल राजा की भार्या, शक्रदेव - माता ), लक्ष्मीनारायण १.३३३.१( पद्मावती लक्ष्मी की तपोरत गणेश पर आसक्ति, गणेश के शाप से तुलसी आदि बनना ), १.४११.२२( त्रिशङ्कु - भार्या पतिव्रता पद्मावती द्वारा विष्णु भक्ति से भक्त पुत्र अम्बरीष को जन्म देने का कथन ), २.२९७.८३( पद्मावती पत्नी के गृह में पर्यङ्कस्थ कृष्ण के दर्शन होने का उल्लेख ), ३.१००.१३९( सूर्यप्रभा का दिशांश अम्बा व सूर्यांश नाकजित् की पुत्री रूप में जन्म लेकर श्रीहरि की पत्नी बनने का कथन, पद्मावती के पूर्व जन्म का वृत्तान्त : पूर्व जन्म में ब्रह्मा - पुत्री ), ३.१२२.१०८( दिशाओं द्वारा पुत्री व्रत के चीर्णन से पद्मावती पुत्री की प्राप्ति का उल्लेख ), ४.२६.६१( पद्मावती - पति कृष्ण की शरण से वासना से मुक्ति का उल्लेख ), कथासरित् ३.१.२०+ ( मगधराज प्रद्योत की कन्या पद्मावती को वासवदत्ता - पति वत्सराज उदयन की पत्नी बनाने हेतु वासवदत्ता के जल कर मरने का झूठा समाचार प्रसारित करना, वासवदत्ता का पद्मावती के गृह में शरण लेना आदि ), १२.८.५९( राजकुमार वज्रमुकुट द्वारा मन्त्री - पुत्र बुद्धिशरीर की सहायता से दन्तवैद्य की कन्या पद्मावती को प्राप्त करने का वृत्तान्त ), १२.१६.६( कृतयुग में उज्जयिनी के पद्मावती नाम का उल्लेख ), १७.१.१५( विद्याधरराज द्वारा मुक्ताफलकेतु के रूप में जन्म लेकर पद्मावती को प्राप्त करने का उल्लेख ), १७.१.६३( शिव गण चन्द्रलेखा व मणिपुष्पेश्वर को पार्वती द्वारा पृथिवी पर मनुष्य योनि में जन्म लेने का शाप ), १७.२.१२६( मुक्ताफलकेतु व पद्मावती के पृथिवी पर जन्म लेने का वृत्तान्त ) padmaavatee/ padmavati
पद्मिनी पद्म ६.१८४.७५( दुर्वासा को देखकर अप्सरा द्वारा पद्मिनी रूप धारण, पञ्चाम्बुजा रूप का कथन, दुर्वासा द्वारा पद्मिनी होने का शाप ), ६.१८४.५०( राजीविनी / पद्मिनी द्वारा हंस को अपने पूर्व जन्मों के वृत्तान्त बताना ), भविष्य ३.३.२५.११( कामपाल राजा की पुत्री, स्वयंवर में लक्षण का वरण ), ३.३.३०.१३( कारागृह में कैद स्वपति को पद्मिनी द्वारा विघ्न नाशक मन्त्र बताना ), ३.३.३०.४२( पद्मिनी द्वारा अन्तर्द्धान विद्या प्राप्त करने का कथन ), ३.३.३०.७३( पूर्व जन्म में कुबेर - सेनापति मणिदेव की भार्या ), मार्कण्डेय ६६.७/ ६३.७( स्वरोचिष द्वारा पद्मिनी विद्या का प्रयोग ), ६८.१/६५.१( पद्मिनी विद्याश्रित निधियों की प्रकृति का वर्णन ), स्कन्द २.१.३( आकाशराज व धरणी - पुत्री, श्रीहरि की पद्मिनी पर आसक्ति ), २.१.५( वेदवती का रूप ), लक्ष्मीनारायण १.३९८.८७( आकाशराज व धरणी द्वारा कृषि करते समय प्राप्त कन्या का पद्मिनी नामकरण, नारद द्वारा पद्मिनी कन्या के सामुद्रिक लक्षणों का वर्णन, पद्मिनी द्वारा हयारूढ श्रीनिवास के दर्शन ), १.३९९( वेदवती के पद्मिनी बनने का कथन, पद्मिनी के श्रीनिवास से विवाह के आयोजन का आरम्भ ), १.४००( पद्मिनी का श्रीनिवास से विवाह, पद्मिनी द्वारा पति सेवा का वर्णन ), ३.१००.१४२( सूर्य - पुत्री रमा का अम्बा व नाकजित् - पुत्री के रूप में जन्म लेकर श्रीहरि की पत्नी बनने का कथन ; पद्मिनी के पूर्व जन्म का कथन : पूर्व जन्म में ब्रह्मा - पुत्री रमा ), ४.१०१.११३( श्रीहरि व पद्मिनी के मूलकर्दम पुत्र व सलिला पुत्री का उल्लेख ), padminee/ padmini पद्मिष्ठा कथासरित् १२.६.२०२( चोरों के हाथों में पडी कन्या पद्मिष्ठा के स्वभ्राता मुखरक से मिलन तथा श्रीदर्शन से विवाह का वृत्तान्त )
पनस नारद १.५६.२०९( पनस / कटहल वृक्ष की उत्तरषाढा नक्षत्र से उत्पत्ति ), पद्म १.२८( कटहल वृक्ष, श्रीप्रद ), ब्रह्माण्ड २.३.७.२२१( सुग्रीव - भार्या रुमा का पिता ), २.३.७.२३१( प्रधान वानरों में से एक ), लिङ्ग १.४९.६६( पनस वृक्ष वन में दानवों का वास ), वायु ४३.४( पनस वृक्ष की गण्डकी क्षेत्र में स्थिति व महिमा ), ६८.३९/२.७.३९( पन : प्रवाही के १० देवगन्धर्व पुत्रों में से एक ), स्कन्द २.२.४४.६( ज्येष्ठ मास में पनस फल दान का निर्देश ), ३.१.४४.१९(पनस के पुटेश से युद्ध का उल्लेख), ३.१.४९.३३( वानर, रामेश्वर की स्तुति ), ६.२५२.२२( चातुर्मास में गुह्यकों की पनस वृक्ष में स्थिति का उल्लेख ), वा.रामायण ६.२६.३९( सारण द्वारा रावण को पनस वानर का परिचय ), ६.३७( राम के वानर सेनानियों में से एक, विभीषण - मन्त्री, लङ्का की रक्षा व्यवस्था का दर्शन ), ६.३८.११( सुवेल पर्वत पर चढने वाले वानरों में से एक ), लक्ष्मीनारायण १.१२४.११( साकेत में ब्रह्म पनस, लक्ष्मी पनस वृक्षों का वर्णन ), १.४४१.८४( पनस वृक्ष : गुह्यकों का रूप ), panasa
पन्थ भागवत ११.१९.४२( भगवान् का निगम ही पन्थ होने का उल्लेख ), महाभारत वन ३१३.११४( पन्थ के विषय में यक्ष का प्रश्न व युधिष्ठिर का उत्तर ) pantha
पन्नग नारद १.४२.३०( सलिल के अन्त में पन्नगाधिपों की स्थिति तथा पन्नगाधिपों के अन्त में आकाश की स्थिति का उल्लेख ), ब्रह्माण्ड १.२.३३.४( प्रधान श्रुतर्षियों में से एक ), वायु ६१.३( पन्नगारि : निरुक्तकार रथीतर के ३ शिष्यों में से एक ), १.२.३५.६( पान्नगारि : बाष्कलि भरद्वाज के ३ शिष्यों में से एक ), स्कन्द ५.३.३९.३२( कपिला गौ के खुरों में पन्नगों की स्थिति ), महाभारत अनुशासन १४.२५६(पिनाक धनुष के पन्नग रूप का कथन), pannaga |