पुराण विषय अनुक्रमणिका PURAANIC SUBJECT INDEX (From Dvesha to Narmadaa ) Radha Gupta, Suman Agarwal & Vipin Kumar
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Puraanic contexts of words like Dhuuma / smoke, Dhuumaketu, Dhuumaavati, Dhuumra, Dhuumralochana, Dhuumraaksha, Dhritaraashtra etc. are given here. धूम पद्म ३.२६.९६ (मृगधूम तीर्थ का संक्षिप्त माहात्म्य : अश्वमेध फल की प्राप्ति), ब्रह्मवैवर्त्त २.३१.५३ (धूमान्ध नरक प्रापक कर्मों का कथन), ब्रह्माण्ड १.२.२४.१३९(धूमवान् के सब केतुओं का आदि होने का उल्लेख), २.३.७२.११९, १५६(शुक्र द्वारा धूमव्रत चारण का वृत्तान्त), भागवत ३.३२.१६ (मृत्यु पश्चात् दक्षिण/धूममार्ग तथा अर्चि मार्ग से यात्रा करने वाले पुरुषों का वर्णन), मत्स्य ४७.१२२ (शुक्राचार्य द्वारा धूमपान व्रत का चारण), १२५.३० (धूम का महत्त्व), लिङ्ग १.५४.४० (विभिन्न प्रकार के धूमों से निर्मित मेघों का वर्णन), वायु ३०.१००(धूमप : पितरों के ४ वर्गों में से एक), ५३.१११(धूमवान् के सब केतुओं का आदि होने का उल्लेख), स्कन्द ४.१.४५.४० (धूमनिःश्वासा : ६४ योगिनियों में से एक), ५.३.४५.१३ (तपोरत अन्धकासुर के सिर से धूम वर्ति के निकल कर लोकों में व्याप्त होने पर शिव - पार्वती का आगमन), ५.३.१८७.४ (कालाग्नि रुद्र से काल रूपी धूम तथा व्याप्त धूम से लिङ्ग के उद्भव का कथन), कथासरित् ७.५.८४ (शृङ्गभुज नामक राजपुत्र के अग्निशिख राक्षस की पुरी धूमपुर पंहुचने और उसकी रूपशिखा कन्या से विवाह करने का वृत्तान्त), १२.६.४०३ (धूमकेतु यक्ष की कन्याओं ज्योतिलेखा व धूमलेखा द्वारा पति प्राप्त्यर्थ तप, पूर्व जन्म के पति दीप्तशिख को आगामी जन्म में श्रीदर्शन राजा के रूप में प्राप्त करना ) ; द्र. विधूम dhooma/dhuuma/ dhuma
धूमकेतु गणेश १.९२.२४ (सर्पों द्वारा धूमकेतु नाम से गणेश की पूजा), २.१.२१ (कलियुग में गणेश का नाम, अश्व वाहन), २.७८.४३ (कलियुग में द्विभुज गणेश का नाम), विष्णुधर्मोत्तर १.१०६.१०६ (तपोरत मृत्यु कन्या के नि:श्वास से धूमकेतु की उत्पत्ति का कथन), महाभारत आदि १०३.१७(अर्क से प्रभा तथा धूमकेतु से उष्मा के उत्सर्जन का उल्लेख), कथासरित् ८.२.२२५, ८.७.३५ (सूर्यप्रभ - सेनानी धूमकेतु का श्रुतशर्मा विद्याधर - सेनानियों यमदंष्ट्र व यम से युद्ध का उल्लेख), १२.६.४२२ (धूमकेतु यक्ष की पुत्रियों ज्योतिलेखा व धूमलेखा का वृत्तान्त ) dhoomaketu/ dhuumaketu/ dhumketu
धूमशिख मत्स्य १७९.२४(धूमशिखा : अन्धकासुर के रक्त पानार्थ शिव द्वारा सृष्ट मानस मातृकाओं में से एक), कथासरित् ७.५.१२५ (अग्निशिख राक्षस द्वारा शृङ्गभुज राजकुमार को स्वभ्राता धूमशिख को लाने के लिए भेजना, शृङ्गभुज द्वारा धूमशिख से स्वयं की रक्षा के उपायों का वृत्तान्त), १५.१.१०८ (राजा मन्दरदेव का प्रधान?, चक्रवर्ती नरवाहनदत्त द्वारा युद्ध में धूमशिख को जीतना), १६.२.१९(राजा नरवाहनदत्त द्वारा उज्जयिनी के राजा पालक व उसके पुत्र को लाने के लिए धूमशिख विद्याधर को भेजने का उल्लेख ) dhoomashikha
धूमावती देवीभागवत १२.६.८० (गायत्री सहस्रनामों में से एक), नारद १.८७.१५५ (दुर्गा - अवतार, धूमावती के मन्त्र विधान का कथन), पद्म ३.२८.२३ (धूमावती तीर्थ का संक्षिप्त माहात्म्य : कामनाओं की पूर्ति), शिव ३.१७.८ (शिव के सातवें अवतार धूमवान् की शक्ति धूमावती : सदुपासक कामदा), ५.४७.५१(गौरी के शरीर से प्रकट कौशिकी द्वारा धूम्राक्ष / धूम्रलोचन असुर का वध करने पर धूमावती नाम प्राप्ति ) dhoomaavatee/ dhumavati
धूमिनी ब्रह्माण्ड ३.४.१०.८१ (भण्डासुर - भार्या), ३.४.२८.६(भण्डासुर की भगिनी, उलूकजित् आदि की माता), मत्स्य ४९.७० (अजमीढ - भार्या, यवीनर - माता), ५०.१७ (अजमीढ / सोमक - पत्नी, पुत्र जन्तु की मृत्यु पर धूमिनी द्वारा तप से धूमवर्ण ऋक्ष पुत्र को जन्म देना), हरिवंश १.३२.४३ (अजमीढ - पत्नी धूमिनी द्वारा तप से ऋक्ष पुत्र की माता बनने का कथन, वंश वर्णन ) dhoominee/ dhumini
धूमोर्णा देवीभागवत ९.२२ (शङ्खचूड - सेनानी, नलकूबर से युद्ध), विष्णु १.८.२७ (यम - पत्नी), विष्णुधर्मोत्तर १.४१.४(यम पुरुष, धूमोर्णा प्रकृति), ३.५१ (धूमोर्णा की मूर्ति के स्वरूप का वर्णन), स्कन्द ७.१.१६ (राक्षस, सूर्य प्रभाव से पाताल में पतन), लक्ष्मीनारायण १.३८२.२५(विष्णु के यम व लक्ष्मी के धूमोर्णा होने का उल्लेख), ४.१०६.७५ (यमराज - पत्नी धूमोर्णा का उल्लेख ) dhoomornaa
धूम्र नारद १.६५.२७(धूम्रा : रवि की १२ कलाओं में से एक), पद्म ३.२६.९६ (मृगधूम तीर्थ का माहात्म्य), ब्रह्म १.३४.७७(नि:श्वास रूपी धूम्र का उल्लेख), ब्रह्माण्ड १.२.११.७(मार्कण्डेय - पत्नी, वेदशिरा - माता), १.२.१८.७५(भारत के पूर्व दिशा के ३ पर्वतों में से एक), २.३.७.१३४(धूम्रित : खशा व कश्यप के कईं राक्षस पुत्रों में से एक), २.३.७.२३५(प्रधान वानर नायकों में से एक), २.३.७.४४३(धूम्रगण : दुल्लोल नाग के ८ पुत्रों में से एक), ३.४.३५.८३ (धूम्रार्चि : दिव्य अर्घ्य पात्र के आधार में स्थित अग्नि की १० कलाओं में से एक), ३.४.३५.८७(धूम्रा : दिव्य अर्घ्य पात्र के परित: स्थित सूर्य की १२ कलाओं में से एक), भागवत ५.२०.२५(धूम्रानीक : मेधातिथि के ७ पुत्रों में से एक), मत्स्य १६३.८९(धूम्रवर्ण : हिरण्यकशिपु के कारण कम्पित पर्वतों में से एक), १७९.१७(धूम्रा : अन्धकासुर के रक्त पानार्थ सृष्ट मातृकाओं में से एक), वायु २६.४१(चतुर्दश मुखी ब्रह्मा के नवम ऌकार मुख से नवम धूम्र मनु की उत्पत्ति का उल्लेख), ६९.१६५/२.८.१५९(धूम्रित : खशा के मुख्य पुत्रों में से एक), विष्णुधर्मोत्तर १.२४९.५ (धूम्र के वलीमुखों, ऋक्षों आदि के अधिपति होने का उल्लेख), शिव २.५.३६.११ (शङ्खचूड - सेनानी, नलकूबर से युद्ध), २.५.३६.१३ (शङ्खचूड - सेनानी, आदित्यों से युद्ध), वा.रामायण ६.२७.९ (वानर, राम - सेनानी, जाम्बवान - अग्रज, सारण द्वारा रावण को धूम्र का परिचय देना), लक्ष्मीनारायण २.२४२.२६ (आपस्तम्बी, धूम्रस्तम्बी आदि पांच भगिनियों का ध्यानस्थ पङ्किल ऋषि के पास आगमन और पङ्किल को ५ कल्प जीवी होने की शुभाशीष), २.२४३.१६ (धूम्रस्तम्बी आदि ५ भगिनियों का श्रीहरि से विवाह), ३.४ (धूम्र असुर की शिव के मस्तक पृष्ठ से उत्पत्ति, धूम्र द्वारा शिव से प्राप्त त्रिशूल से ब्रह्माण्ड को विजित करना, कन्या रूपधारी लक्ष्मी पर मोहित होना व मृत्यु ) ; द्र. सुधूम्राक्ष dhoomra/ dhumra
धूम्रकेतु भागवत ५.७.२ (भरत व पञ्चजनी के पांच पुत्रों में से एक), ९.२.३३(तृणबिन्दु व अलम्बुषा के ३ पुत्रों में से एक ) dhoomraketu
धूम्रकेश भागवत ४.२२.५४ (पृथु - पुत्र), ४.२४.१ (दक्षिण दिशा के राजा), ६.६.२० (कृशाश्व व अर्चि - पुत्र )
धूम्रलोचन देवीभागवत ५.२१ , ५.२४.३६(शुम्भ - निशुम्भ द्वारा काली देवी से युद्ध हेतु धूम्रलोचन का प्रेषण, धूम्रलोचन द्वारा देवी को युद्ध के रतिज और उत्साह जन्य भेदों का कथन), ५.२५.१(धूम्रलोचन का कालिका देवी से युद्ध, देवी द्वारा हुंकार से धूम्रलोचन को भस्म करना), ब्रह्माण्ड १.२.१८.२० (धूम्रलोचन शिव का मुञ्जवान पर्वत पर वास), मत्स्य १२१.२२ (शृङ्गवान पर्वत पर धूम्रलोचन शिव के निवास का उल्लेख), मार्कण्डेय ८६ (शुम्भ व निशुम्भ - सेनानी), वामन ५५ (कौशिकी द्वारा धूम्रलोचन का वध), शिव ५.४७.४४ (शुम्भ व निशुम्भ - सेनापति, कौशिकी / धूमावती देवी द्वारा हुंकार से वध), कथासरित् ८.५.१०७ (विद्याधर श्रुतशर्मा व सूर्यप्रभ के युद्ध में वीरसेन द्वारा धूम्रलोचन के वध का उल्लेख ) dhoomralochana/ dhumralochan
धूम्राक्ष गणेश २.१२.२३ (महोत्कट गणेश द्वारा धूम्राक्ष के वध का वृत्तान्त), २.१४.३६ (धूम्राक्ष - पत्नी द्वारा महोत्कट गणेश का विषयुक्त तैल से मर्दन, गणेश द्वारा वध), २.६९.१७ (धूम्राक्ष दैत्य के विशेष वज्र का कथन), भविष्य ४.७१ (अयोध्या के राजा अजपाल को अपने आधीन करने के लिए रावण द्वारा धूम्राक्ष को दूत बनाकर भेजना), भागवत ९.२.३४(हेमचन्द्र - पुत्र, संयम - पिता, मरुत्त वंश), ९.१०.१८(रावण - सेनापति, राम द्वारा वध), विष्णु ४.१.५२(चन्द्र - पुत्र, सृंजय - पिता, मरुत्त वंश), शिव ५.४७.४४ (कौशिकी देवी द्वारा हुंकार से धूम्राक्ष / धूम्रलोचन का वध), वा.रामायण ६.५१ (रावण - सेनानी धूम्राक्ष के रथ का वर्णन, हनुमान द्वारा लङ्का के पश्चिम द्वार पर धूम्राक्ष का वध), ७.५.४० ( सुमाली व केतुमती - पुत्र), लक्ष्मीनारायण १.१६६.४३ (शुम्भ - सेनानी, देवी को बलात् पकडने के प्रयास पर देवी द्वारा हुंकार अग्नि से भस्म करना), २.१७६.८ (ज्योतिष में योग का नाम ) dhoomraaksha
धूम्राश्व मार्कण्डेय ११४.२५/ १११.२६ (धूम्राश्व - पुत्र नल के भस्म होने का वृत्तान्त), वा.रामायण १.४७.१४(सुचन्द्र - पुत्र, सृंजय - पिता, इक्ष्वाकु वंश )
धूर्जटि ब्रह्माण्ड ३.४.३०.८४(काम द्वारा उद्दीपित धूर्जटि शिव का गौरी से विवाह के लिए उद्धत होना), विष्णु ४.७.८(कुश के ४ पुत्रों में से एक), स्कन्द १.२.१३.१९३(शतरुद्रिय प्रसंग में शृङ्गी द्वारा विषमय लिङ्ग की धूर्जटि नाम से पूजा का उल्लेख), ३.३.१२.१७ (धूर्जटि से कटि की रक्षा की प्रार्थना), कथासरित् १७.१.६९ (चन्द्रलेखा द्वारा धूर्जट गण को मनुष्य बनने का शाप), १७.१.१३७ (धूर्जट का ब्रह्मदत्त - मन्त्री शिवभूति बनना ) dhoorjati/ dhurjati
धूर्त्त गणेश २.११४.१६ (सिन्धु असुर व गणेश के युद्ध में धूर्त्तराज का विकट से युद्ध), कथासरित् ८.५.५३ (धूर्त्तवहन : विद्याधर श्रुतशर्मा - सेनानी, सूर्यप्रभ - सेनानी प्रभास से युद्ध ) dhoorta/ dhurta
धृत - ब्रह्माण्ड १.२.३६.३१(धृतधर्मा : प्रतर्दन देव गण के १२ देवों में से एक), २.३.७१.१३१(देवक की ७ पुत्रियों में से एक, वसुदेव - भार्या), भागवत ९.२४.२२(धृतदेवा : देवक की ७ पुत्रियों में से एक, वसुदेव - पत्नी), मत्स्य १२.२१ (धृतकेतु : धृष्ट के तीन पुत्रों में से एक), ४९.५(धृतेयु : भद्राश्व व घृताची के १० पुत्रों में से एक), वायु ६९.७३/२.८.७०(धृतपाद : कश्यप व कद्रू के प्रधान नाग पुत्रों में से एक), ८८.१२१/२.२६.१२०(धृतक : रुरुक - पुत्र, बाहु - पिता, हरिश्चन्द्र वंश), विष्णु ३.२.२४(धृतकेतु : दक्ष सावर्णि मनु के पुत्रों में से एक), ४.१९.२(धृतेषु : रौद्राश्व व घृताची के १० पुत्रों में से एक ) ; द्र. विधृत
धृतराष्ट्र गरुड ३.९.३(अजान देवों में से एक), गर्ग १.५.२७ (भग नामक सूर्य का अंश), देवीभागवत २.६ (शन्तनु - पुत्र की पत्नी व व्यास के वीर्य से अन्धे धृतराष्ट्र के उत्पन्न होने आदि का वृत्तान्त), ४.२२.३६ (अरिष्ट - पुत्र हंस का अंश), ब्रह्माण्ड १.२.२३.२१(धृतराष्ट्र गन्धर्व की माघ/तप मास में सूर्य रथ के साथ स्थिति का उल्लेख), २.३.६.८(कश्यप व दनु के विप्रचित्ति प्रमुख १०० दानव पुत्रों में से एक), २.३.७.२(१६ मौनेय देवगन्धर्वों में से एक), भविष्य ३.२.३६.२८ (रुद्र के शाप से पाण्डवों व कौरवों के कलियुग में अंशावतरण के संदर्भ में धृतराष्ट्र का अजमेर के शासक पृथ्वीराज के रूप में जन्म का उल्लेख), भागवत १.१३.१८ (विदुर के उपदेश से धृतराष्ट्र का गान्धारी सहित वन गमन व शरीर त्याग), ५.२४.३१(पाताल लोक वासी प्रमुख नागों में से एक), १२.११.४३(धृतराष्ट्र की आश्विन/इष मास में सूर्य रथ पर स्थिति), मत्स्य ६.११ (बलि के सौ पुत्रों में से एक, बाण - भ्राता), १०.२० (नागों द्वारा गौ दोहन में धृतराष्ट्र के दोग्धा होने का उल्लेख), वामन ३९ (दाल्भ्य बक द्वारा धृतराष्ट्र से याचना, धृतराष्ट्र के राष्ट्र का होम व क्षय), वायु ५२.२१(धृतराष्ट्र की माघ मास में सूर्य रथ पर स्थिति), ६९.२/२.८.२(१६ मौनेय देवगन्धर्वों में से एक), ६९.७१/२.८.६८(कद्रू व कश्यप से उत्पन्न प्रधान नागों में से एक), ६९.३१७ (धृतराष्ट्री : पुलह व ताम्रा की कन्याओं में से एक, गरुड - भार्या, हंसों आदि की माता), विष्णु २.१०.१६(धृतराष्ट्र की माघ मास में सूर्य रथ पर स्थिति), ६.८.४५(धृतराष्ट्र नाग द्वारा नर्मदा से विष्णु पुराण सुनकर वासुकि को सुनाना), स्कन्द ३.१.५.१३२ (उदयन राजकुमार द्वारा धृतराष्ट्र नाग के पुत्र किन्नर को शबर के बन्धन से मुक्त कराना, धृतराष्ट्र - पुत्री ललिता से विवाह आदि), ४.२.६८.५६(कृतिवासेश्वर कुण्ड में काकों के पतन से धार्तराष्ट्र/हंस बनने का कथन), हरिवंश १.६.२७ (सर्प, नागों द्वारा पृथिवी के दोहन में धृतराष्ट्र के दोग्धा बनने का उल्लेख), महाभारत शल्य ४१.७(धृतराष्ट्र द्वारा बक दाल्भ्य ऋषि को मृत गाएं देने पर बक दाल्भ्य द्वारा मृत गायों के मांस के होम से धृतराष्ट्र के राज्य का क्षय करना, धृतराष्ट्र द्वारा बक दाल्भ्य को प्रसन्न करना), लक्ष्मीनारायण २.२८.१७(धृतराष्ट्र जाति के नागों का क्षत्रिय बनना ); द्र. रथ सूर्य dhritaraashtra/ dhritrashtra/dhritarashtra |