पुराण विषय अनुक्रमणिका PURAANIC SUBJECT INDEX (From Dvesha to Narmadaa ) Radha Gupta, Suman Agarwal & Vipin Kumar
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Puraanic contexts of words like Nanda, Nandana, Nandasaavarni, Nandaa, Nandini, Nandivardhana, Nandi etc. are given here. नन्दक ब्रह्माण्ड २.२०.३०(वितल नामक तृतीय तल में नन्दक नामक नाग के मन्दिर की स्थिति का उल्लेख), मत्स्य ४६.१८(नन्दक / नन्दन : वृकदेवी व वसुदेव के एक पुत्र का नाम), वायु २२.१६(ध्यानरत ब्रह्मा के पार्श्व से सुनन्द, नन्दक, विश्वनन्द आदि ४ शिष्यों के उत्पन्न होने का कथन ) nandaka
नन्दन नारद २.२८.७१ (धर्म के कामदुघा धेनु व संतोष के नन्दन वन होने का उल्लेख), ब्रह्म १.१६.३०(मेरु के उत्तर में स्थित वन का नाम), ब्रह्मवैवर्त्त १.१९.३३ (नन्दनन्दन कृष्ण से नैर्ऋत्य दिशा की रक्षा की प्रार्थना), ब्रह्माण्ड २.३.७.१२२(पुण्यजनी व मणिभद्र के २४ पुत्रों में से एक), २.३.७०.४६(राजा मधु का एक पुत्र), २.३.७१.१४९(शूर व भोजा के १० पुत्रों में से एक), ३.४.२९.११३(भण्डासुर द्वारा हुंकार से उत्पन्न पुत्रों में से एक), मत्स्य ३४४.१८(ययाति का स्वर्ग के नन्दन नामक उपवन में वास व वहां से भ्रष्ट होने का कथन), लिङ्ग १.११.७ (तपोरत ब्रह्मा से श्वेत वर्ण सुनन्द, नन्दन, विश्वनन्द आदि की उत्पत्ति का कथन), वायु २२.१६(ध्यानस्थ ब्रह्मा के पार्श्व से सुनन्द, नन्दक, विश्वनन्द व नन्दन नामक ४ शिष्यों के उत्पन्न होने का कथन), ९६.१४८/२.३४.१४८(शूर व भोजा के १० पुत्रों में से एक, वसुदेव -- भ्राता), विष्णु ४.२४.५६(वंग - पुत्र, सुनन्दी - पिता), शिव ३.१.१० (श्वेत लोहित कल्प में सद्योजात शिव (?) के सुनन्द, नन्दन, विश्वनन्द व उपनन्द नामक ४ शिष्यों के प्रादुर्भाव का कथन), ५.२.६ (हिरण्यकशिपु- पुत्र नन्दन के अङ्गों पर वज्र आदि का प्रभाव न होने का कथन), लक्ष्मीनारायण २.१४०.९० (नन्दन व श्रीनन्दन नामक प्रासादों में अण्डों की संख्या का कथन), ३.५१.११८ (अन्न दान न करने से स्वर्गलोक में भी तृषित राजा सुबाहु द्वारा नन्दन वन के नन्दन सरोवर में स्नान करके स्वशव भक्षण करने का कथन ) ; द्र. कुनन्दन, भनन्दन nandana
नन्दभद्र स्कन्द १.२.४५ (नन्दभद्र वैश्य द्वारा कपिलेश्वर की अर्चना, नास्तिक के मत का खण्डन), १.२.४६ (कुष्ठी ब्राह्मण - पुत्र द्वारा नन्दभद्र को ज्ञानोपदेश, नन्दभद्र द्वारा गुरु नामक बालादित्य की स्थापना )
नन्दयन्ती वामन ६३.८० (अञ्जन गुह्यक - पुत्री), ६४.४१ (अञ्जन व प्रम्लोचा - पुत्री), ६५ (नन्दयन्ती का शकुनि से विवाह), कथासरित् १२.२१.६ (नन्दयन्ती व रत्नदत्त वणिक् - पुत्री रत्नवती के चोर पर आसक्त होने की कथा )
नन्दसावर्णि लक्ष्मीनारायण १.३८८ (नन्दसावर्णि राजा की भक्ति से वराह द्वारा स्वभार्या धरणि को कुमारी रूप में राजा को प्रदान करना, धरणि द्वारा वराह से दिव्य दन्तास्थि की प्राप्ति, नन्दसावर्णि द्वारा दन्तास्थि की सहायता से प्राप्त धन को समुद्र में छिपाना, धरणि के निधनोपरान्त नारद द्वारा राजा की सपत्ना उपला को भ्रमित करके दन्तास्थि को नष्ट कराना, राजा की मृत्यु आदि ) nandasaavarni
नन्दा अग्नि ६५.१९ (सभादि स्थापना के संदर्भ में नन्दा / श्री से प्रतिष्ठित होने की प्रार्थना), नारद १.६६.९३(सुनन्दा : नन्दन विष्णु की शक्ति सुनन्दा का उल्लेख), १.६६.१२८(वृषध्वज की शक्ति नन्दा का उल्लेख), १.११८.१६ (नन्दा नवमी को दुर्गा पूजा), पद्म १.१८ (नन्दा गौ का व्याघ्र रूपी प्रभञ्जन राजा से संवाद, स्वर्ग गमन, सरस्वती का नन्दा नामकरण), ब्रह्माण्ड २.३.१३.८२(नन्दा तीर्थ में श्राद्ध के माहात्म्य का कथन), ३.४.४४.७२(५१ वर्णों की शक्ति देवियों में से एक), भागवत ४.६.२४४(अलकापुरी के बाहर अलकनन्दा व नन्दा नदियों की स्थिति व महत्त्व का कथन), ५.२०.१०(शाल्मलि द्वीप की ७ नदियों में से एक), मत्स्य १३.३ (हिमवान् पर सती देवी की नन्दा नाम से स्थिति का उल्लेख), २२.१०(श्राद्ध के लिए प्रशस्त तीर्थों में से एक), १२२.३१(शाक द्वीप की एक नदी, अन्य नाम पावनी), १७९.१२(मातृनन्दा : अन्धकासुर के रक्त पानार्थ शिव द्वारा सृष्ट मातृकाओं में से एक), मार्कण्डेय ७१(नागराज कपोतक की पुत्री, नागराज द्वारा मूक होने का शाप), वायु ४१.१८(कैलास पर्वत के पूर्व कूट की एक नदी), स्कन्द २.४.४.८५ (नन्दा द्वारा व्याघ्र को उपदेश, सरस्वती नदी का रूप), ५.३.१४० (नन्दा ह्रद तीर्थ का माहात्म्य, नन्दा देवी द्वारा महिषासुर वध के पश्चात् स्नान), ५.३.१९८.६८ (हिमालय पर देवी की नन्दा नाम से ख्याति का उल्लेख), ७.१.२६५ (कनकनन्दा देवी का माहात्म्य), लक्ष्मीनारायण १.२६५.१२ (पुरुषोत्तम की शक्ति नन्दा का उल्लेख), ४.१०१.१०३ (कृष्ण - पत्नी नन्दा के नन्दन सुत व नन्दिनी सुता का उल्लेख), १.२७४.१९ (भाद्रपद शुक्ल नवमी को नन्दा व्रत की संक्षिप्त विधि व माहात्म्य), १.२७४.३८ (माघ शुक्ल नवमी को महानन्दा देवी की पूजा का निर्देश ) ; द्र. कनकनन्दा nandaa
नन्दिकुण्ड पद्म ६.१३६.१ (नन्दिकुण्ड से विनिःसृत साभ्रमती नदी द्वारा पवित्र किए गए देशों का वर्णन )
नन्दिग्राम पद्म ५.१.२८ (राम द्वारा वन से अयोध्या लौटने पर भरत के तपोस्थल नन्दिग्राम में तपोरत भरत के दर्शन व हनुमान का प्रेषण), स्कन्द ३.३.२०.२९ (नन्दिग्राम में महानन्दा वेश्या व वैश्य की कथा), वा.रामायण ६.१२७ (भरत के राम से मिलन का स्थान ) nandigraama
नन्दिनी देवीभागवत ३.१७.१० (विश्वामित्र द्वारा वसिष्ठ की नन्दिनी धेनु का बलात् हरण, नन्दिनी द्वारा दैत्यों की सृष्टि करके स्वयं को मुक्त कराना), ७.३० (देविका नदी तट पर देवी का नाम), नारद १.११८.२७ (नन्दिनी नवमी को जगदम्बा की पूजा), ब्रह्माण्ड ३.४.४४.८४(विशुद्धि चक्र की षोडश शक्ति देवियों में से एक), मत्स्य १३.३८ (सती की देविका तट पर नन्दिनी नाम से स्थिति का उल्लेख), १७९.१४, २५(अन्धकासुर के रक्त पानार्थ शिव द्वारा सृष्ट मानस मातृकाओं में से एक), मार्कण्डेय ११९.१४ / ११६.१४ (वीर? - पत्नी, विविंश - माता), वामन ५७.९१ (प्रभास द्वारा कार्तिकेय को प्रदत्त गण), वायु ४४.२०(केतुमाल देश की एक नदी), स्कन्द ५.३.१९८.७५ (देविका तट पर उमा देवी की नन्दिनी नाम से ख्याति का उल्लेख), ६.५० (नन्दिनी गौ द्वारा बाण लिङ्ग का अभिषेक, व्याघ्र रूप धारी कलश नृप से संवाद, दोनों की मुक्ति), ६.१६७.२५(विश्वामित्र द्वारा वसिष्ठ की नन्दिनी गौ की प्राप्ति के प्रयास की कथा), ६.२१३ (कृष्ण - पत्नी, साम्ब - भार्या के रूप में साम्ब से रति), ७.१.७ (पञ्चम कल्प में पार्वती का नाम), ७.१.२६४ (नन्दिनी गुफा का माहात्म्य : चान्द्रायण फल की प्राप्ति ), ७.३.१ (वसिष्ठ की कामधेनु नन्दिनी के गर्त में पतन पर सरस्वती द्वारा बाहर निकालना, गर्त के निर्माण की कथा), लक्ष्मीनारायण १.२७४.३६ (मार्गशीर्ष शुक्ल नन्दिनी नवमी व्रत की संक्षिप्त विधि), १.४८९.१३ (शिव लिङ्ग पर दुग्ध स्राव करती नन्दिनी धेनु का व्याघ्र रूप धारी कलश नृप द्वारा धर्षण, नन्दिनी द्वारा स्व वत्स को दुग्ध पान कराने के पश्चात् व्याघ्र के पास पुन: आगमन और व्याघ्र की मुक्ति की कथा), ४.१०१.९३ (कृष्ण - पत्नी नन्दिनी के आषुतोष पुत्र व विरामिणी सुता का उल्लेख ) nandinee/nandini
नन्दियशा ब्रह्माण्ड २.३.७४.१८२(कलियुगी राजाओं के वर्णन के संदर्भ में राजा भूतनन्दी का अनुज एक राजा), विष्णु ४.२४.५६(नन्दन - पुत्र, सुनन्दी -- भ्राता, कैंकला यवन वंश? )
नन्दिवर्धन ब्रह्माण्ड २.३.६४.७(उदावसु - पुत्र, सुकेतु - पिता, निमि वंश), २.३.७४.१२६(अजय - पुत्र, महानन्दी - पिता, शिशुनाग वंश), २.३.७४.१३३ (नन्दिवर्धन द्वारा ४० वर्ष राज्य करने का उल्लेख), भागवत ९.१३.१४(उदावसु -- पुत्र, सुकेतु - पिता, निमि वंश), १२.१.४(राजक - पुत्र, ५ प्रद्योत राजाओं में अन्तिम), १२.१.७(अजय - पुत्र, महानन्दी - पिता, शिशुनाग वंश), वायु ६९.१५८/२.८.१५३(मणिवर व देवजनी के पुत्रों में से एक यक्ष), विष्णु ४.२४.१७(उदयन - पुत्र, महानन्दी -- पिता, शिशुनाभ वंश), स्कन्द ४.१.२३.४ (नन्दिवर्धन नगरी में शिवशर्मा का राज्य, नन्दिवर्धन राज्य की प्रजा के गुणों का वर्णन), ४.१.२४ (नन्दिवर्धन नगर की महिमा का कथन, शिवशर्मा का जन्मान्तर में नन्दिवर्धन नगर का राजा होना), ६.९.१० (हिमालय के तीन पुत्रों में से एक, वसिष्ठ आश्रम में रन्ध्र को पूरित करने का उल्लेख ), ७.३.३ (हिमवान् - पुत्र, नन्दिवर्धन पर्वत द्वारा उत्तङ्क द्वारा निर्मित गर्त का पूरण, अर्बुदाचल नाम होना), लक्ष्मीनारायण २.१४१.६९ (नन्दिवर्धन नामक प्रासाद में तिलकों, अण्डकों व तलों की संख्या का कथन ) nandivardhana
नन्दिसेन वामन ५७.६१ (शिव द्वारा कार्तिकेय को प्रदत्त ४ गणों में से एक), स्कन्द ४.२.७४.५७ (नन्दिसेन गण की काशी में वरणा तट पर स्थिति )
नन्दी अग्नि ५०.३९ (नन्दी की प्रतिमा का लक्षण – साक्षमाली, त्रिशूली), १२५.१६(वर्णों के नन्दिकेश्वर सूत्र का रूपान्तर), कूर्म २.४३.१७ (शिलाद से नन्दी की उत्पत्ति की कथा, भूमि कर्षण से नन्दी का प्रादुर्भाव, मृत्यु जय हेतु नन्दी द्वारा कोटि रुद्र जप), गणेश १.४३.१ (त्रिपुर - शिव युद्ध में नन्दी का चण्ड से युद्ध), २.१११.१३ (नन्दी के सुरभि गौ - पुत्र होने का उल्लेख), २.१११.२१ (सिन्धु दैत्य के पास भेजने में नन्दी दूत की उपयुक्तता का कथन), २.११४.१४ (सिन्धु - गणेश युद्ध में नन्दी का वीरराज से युद्ध), २.११८.१८ (नन्दी का कल व विकल से युद्ध), गरुड १.५३.९ (नन्दी निधि की प्रकृति का कथन—बहुभार्यायुक्त आदि), गर्ग १०.३७.१८ (शिव द्वारा अनिरुद्ध - सेनानी सुनन्दन के वध के लिए नन्दी का प्रेषण), १०.३८.३ (नन्दी द्वारा सुनन्दन का वध), पद्म ६.११.५२ (शिव द्वारा नन्दी को जालन्धर से युद्ध का निर्देश ; नन्दी के काकतुण्ड रथ का उल्लेख), ६.१२.२ (नन्दी द्वारा जालन्धर - सेनानी शुम्भ से व महाकाल का निशुम्भ से युद्ध), ६.१०१ (नन्दी का जालन्धर - सेनानी कालनेमि से युद्ध), ६.१३६.१ (साभ्रमती नदी के नन्दी कुण्ड से उद्भूत होने का कथन), ६.१५१.२० (नन्दी वैश्य द्वारा धवलेश्वर लिङ्ग पूजा, किरात द्वारा नन्दी की पूजा पर आपत्ति, किरात व नन्दी का शिव के द्वारपाल-द्वय महाकाल व नन्दी बनना), ब्रह्म २.८२.४२ (गौतमी तट पर नन्दी तट का माहात्म्य : चन्द्रमा से अपूत तारा व बृहस्पति द्वारा स्नान से पवित्र होना, नन्दी की गौतमी तट पर स्थिति), ब्रह्मवैवर्त्त ३.१५.१२ (नन्दी द्वारा कार्तिकेय को उसके शिव से जन्म के रहस्य आदि का वर्णन), भविष्य ३.४.८.९० (शिव वाहन, १८ अङ्गों वाली अहंकार तन्मात्रा का प्रतीक, स्वरूप), भागवत ४.२ (नन्दी द्वारा दक्ष को तत्त्व ज्ञान विमुखता का शाप), ४.५.१७ (दक्ष यज्ञ में नन्दी द्वारा भग को पकडने का उल्लेख), ६.६.६(स्वर्ग - पुत्र, धर्म व जामि - पौत्र), १०.६३.६(कृष्ण - बाणासुर युद्ध में शिव द्वारा नन्दी वृषभ पर आरूढ होकर कृष्ण आदि से युद्ध का उल्लेख), मत्स्य २३.२६ (धृति द्वारा स्वपति नन्दी को त्याग सोम की सेवा में जाने का उल्लेख), १४०.१८ ( त्रिपुर ध्वंस प्रकरण में नन्दी द्वारा विद्युन्माली का वध), २५२.३(नन्दीश : स्थापत्य व गृहनिर्माण शास्त्र के १८ विशेषज्ञों में से एक), लिङ्ग १.४२+ (शिव का नन्दी रूप में शिलाद - पुत्र बनना, शिलाद द्वारा नन्दी की स्तुति, शिव द्वारा नन्दी का अभिषेक), १.४३.३(दीर्घायु हेतु नन्दी द्वारा त्र्यम्बक की आराधना, दीर्घायु होना, शिव से प्राप्त माला से त्र्यक्ष व दशभुज बनना), वराह १४५.२५ (सालङ्कायन ऋषि द्वारा नन्दिकेश्वर की पुत्र रूप में प्राप्ति का वृत्तान्त), २१३.३० (त्रेतायुग में नन्दी द्वारा मुञ्जवान् शिखर पर तप, शिव से साम्य की प्राप्ति), वामन ५७.६४ (अश्विनौ द्वारा स्कन्द को प्रदत्त गण का नाम), ६७.५ (अन्धक से युद्ध हेतु आहूत गणों का नन्दी द्वारा शिव को परिचय कराना), ६८.४२ (नन्दी का अन्धक - सेनानियों से युद्ध), ६९.१५ (नन्दी द्वारा शुक्राचार्य का हरण करके शिव को प्रस्तुत करना), ६९.८० (सुन्द असुर द्वारा नन्दी का तथा अन्धक द्वारा रुद्र का रूप धारण करने की कथा), वायु ७७.६३/२.१५.६२(दुराचारी को नन्दीश्वर की मूर्ति दिखाई न पडने का उल्लेख), विष्णु ४.२४.७(नन्दिवर्धन - पुत्र, प्रद्योत वंश का अन्तिम राजा), विष्णुधर्मोत्तर १.२२२.५ (रावण द्वारा वानराकृति नन्दी का उपहास, नन्दी द्वारा रावण को शाप), ३.७३.१५ (नन्दी की मूर्ति का रूप – त्रिनेत्र, चतुर्बाहु आदि), शिव १.१७.८६ (शिव लोक के अग्रतः स्थित वृषभ के आध्यात्मिक रूप का कथन : क्षमा शृङ्ग , शम श्रोत्र आदि), १.१७.१११ (पञ्चम आवरण के बाहर नन्दी संस्थान में तपोरूप वृषभ का उल्लेख), २.२.२६.२० (दक्ष द्वारा शिव को शाप देने पर नन्दी द्वारा आपत्ति, दक्ष द्वारा नन्दी को शाप, नन्दी द्वारा उपस्थित ब्राह्मणों व दक्ष को शाप, शिव द्वारा नन्दी का क्रोध शान्त करना), २.५.४७.४५ (शिव आज्ञा से नन्दी द्वारा शुक्र का हरण कर शिव को सौंपना), २.५.४८.३२ (नन्दी व सोमनन्दी का उल्लेख), ३.६ (शिलाद विप्र द्वारा मृत्युहीन पुत्र प्राप्ति के लिए तप, शिव का चतुर्भुज नन्दी रूप में शिलाद - पुत्र बनना, चतुर्भुज नन्दी का द्विभुज नन्दी में रूपान्तरण, नन्दी द्वारा अल्पायु के वंचन हेतु तप), ३.७ (शिव द्वारा जटाओं के जल से नन्दी का अभिषेक व गणाध्यक्ष बनाना, मरुतों की पुत्री सुयशा से नन्दी का विवाह), ७.१.२७.२८ (तपोरत पार्वती की रक्षा करने वाले व्याघ्र का सोमनन्दी गण बनना), ७.२.२४.१५ (शिव पूजा के संदर्भ में द्वार के दक्षिण पार्श्व में चतुर्भुज नन्दी व उत्तर पार्श्व में नन्दी - पत्नी सुयशा की अर्चना का निर्देश, नन्दी के रूप का कथन), ७.२.३१.५३ (नन्दी की स्तुति के संदर्भ में नन्दी के गुणों का कथन), ७.२.४०.४० (सनत्कुमार द्वारा शिव की उपेक्षा करने पर नन्दी द्वारा सनत्कुमार को उष्ट्र बनाना व उष्ट्रता का निवारण करना), ७.२.४१.२१ (शिवाज्ञा से नन्दी द्वारा सनत्कुमार के पाशों का छेदन व शैव धर्म का उपदेश), स्कन्द १.१.१ (नन्दी द्वारा ब्राह्मणों को दरिद्रता का शाप), १.१.५.१११ (वैश्य, लिङ्गपूजा में किरात से स्पर्द्धा, शिव के महाकाल व नन्दी नामक द्वारपाल बनना), १.१.७ (लिङ्ग महिमा प्रशंसक एक आचार्य), १.१.८.७८(नन्दी द्वारा शिव से सालोक्य मुक्ति की अपेक्षा वानरमुख की याचना का उल्लेख), १.१.८.१०० (हनुमान के नन्दी व एकादशरुद्र रूप होने का उल्लेख?), १.१.३१ (शिव लिङ्ग पूजा के सम्बन्ध में नन्दी का कुमार से संवाद), १.२.२९.३५(पार्वती द्वारा वीरक को शिला-पुत्र होने का शाप) १.२.२९.६७ (तपोरत पार्वती द्वारा द्वारपाल पुत्र वीरक को शाप देने के पश्चात् शिलाद - पुत्र नन्दी बनने का वरदान), १.२.४० (महाकाल का रूप), १.३.२.१ (नन्दी द्वारा मार्कण्डेय को शिव धर्म का उपदेश), ४.१.१६.३३ (प्रमथेश्वर नन्दी द्वारा शिवाज्ञा से शुक्राचार्य को दैत्य सेना के मध्य से हरण करके शिव को देना), ५.२.२०.१८ (अग्नि द्वारा हंस बनकर रतिमग्न शिव के समीप आगमन पर शिव द्वारा नन्दी को भूलोक में जाने का शाप, नन्दी द्वारा महाकालेश्वर की आराधना), ५.३.११.४६ (नन्दी - प्रोक्त नन्दी गीता के श्रवण की फलश्रुति), ५.३.५५.१४ (राजा चित्रसेन द्वारा शूलभेद तीर्थ में अस्थि प्रक्षेप से गणाधिप नन्दी बनने का वर प्राप्त करना), ५.३.८० (नन्दीश्वर तीर्थ का माहात्म्य), ५.३.९४ (नन्दिकेश्वर तीर्थ के माहात्म्य का कथन), ५.३.१८१.१९ (वृष / नन्दी? द्वारा तपोरत भृगु को पीडित करने की कथा), ५.३.२३१.२० (नर्मदा तट पर २ नन्दी तीर्थ होने का उल्लेख), ५.३.२३१.२२ (नर्मदा तट पर २ नन्दिकेश्वर तीर्थ होने का उल्लेख), ७.१.९५ (नन्दी द्वारा मृत्युञ्जय रुद्र की आराधना से गणेशत्व की प्राप्ति आदि), वा.रामायण ७.१६.८ (पुष्पक विमान में आरूढ रावण द्वारा विकृत रूप नन्दी का दर्शन, रावण द्वारा नन्दी का उपहास, नन्दी द्वारा रावण को वानरों से पराजय का शाप), लक्ष्मीनारायण १.१९५.७२ ( गौरी द्वारा सिंह को सोमनन्दी नाम से स्ववाहन बनाने का कथन), १.३२८.६(नन्दी के जलन्धर - सेनानी कालनेमि से युद्ध का उल्लेख), १.४४१.९६ (वृक्ष रूप धारी श्रीकृष्ण के दर्शन हेतु नन्दी के धवल द्रुम बनने का उल्लेख), १.४८५.४२ (काशी के राजा चित्रसेन के मृत्यु पश्चात् नन्दी गण बनने का उल्लेख), २.१४०.२२ (नन्दी नामक शाला में तलों व अण्डकों की संख्या का कथन), ४.८१.१०+ (नन्दिभिल्ल राजा : दिलावरी - पति, अश्वमेध यज्ञ में दीक्षित राजा नागविक्रम से युद्ध में मृत्यु का विस्तृत वर्णन, नन्दिभिल्ल - पत्नी सती दिलावरी का अग्नि में जलना), कथासरित् १०.९.१८५ (मूर्ख मठाधीश द्वारा वृष / नन्दी की पूंछ पकड कर स्वर्ग में जाना व मोदकों का भक्षण करना, पुन: पृथिवी पर आकर अन्य मित्रों के साथ उसी प्रकार स्वर्ग जाना, मार्ग में वृष की पुच्छ को छोड देने से भूमि पर पतन का वृत्तान्त), १४.३.१२६ (नरवाहनदत्त द्वारा कैलास पर पहुंच कर सर्वप्रथम विनायक की आज्ञा लेकर शिव के आश्रम में द्वार पर स्थित नन्दी से निर्देश प्राप्त करने का कथन), १७.२.१४८ (विद्युद्ध्वज असुर द्वारा जल में क्रीडारत नन्दी वृष व ऐरावत हस्ती को पकडने की आज्ञा, नन्दी व ऐरावत द्वारा असुरों का संहार ) nandee/nandi
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